चंडीगढ़ के सेक्टर-47 के चिल्ड्रन पार्क की हालत खस्ता, लाखों खर्च कर बना दिया ओपन एयर जिम
चंडीगढ़ के सेक्टर 47 स्थित चिल्ड्रन पार्क इन दिनों दयनीय हालत में है। यहां बच्चों के लिए बनाए गए झूले से लेकर जानवरों के स्टेच्यू टूट चुके हैं। वहीं बीते सप्ताह स्थानीय पार्षद ने यहां नए ओपन एयर जिम का शुभारंभ किया लेकिन पार्क की हालत जस की तस है।
चंडीगढ़, जेएनएन। शहर के बच्चों और युवाओं को बेहतर स्वास्थ्य देने के उद्देश्य से निगर निगम और प्रशासन की तरफ से हर सेक्टर में पार्कों का निर्माण किया गया है। पार्क निर्माण करने से लेकर उन्हें अपग्रेड करने में लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं लेकिन जो पार्क पुराने हैं उनकी देखभाल की चिंता किसी को नहीं है।
ऐसा ही हाल शहर के सेक्टर-47 स्थित चिल्ड्रन पार्क का भी है। इसी सेक्टर में करीब एक सप्ताह पहले लाखों रुपये से बनाए गए ओपन एयर जिम का शुभारंभ स्थानीय पार्षद देवेश मोदगिल ने किया था। लेकिन उसी ओपन जिम से करीब पांच सौ मीटर दूर दूसरा चिल्ड्रन पार्क की हालत खस्ता है। चिल्ड्रन पार्क में बच्चों के लिए लगाए गए विभिन्न झूलों से लेकर कई तरह एनिमल स्टेच्यू सब टूट चुके हैं और उन्हें ठीक करने की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा। ऐसे में बच्चों के लिए यहां खेलने के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
पार्क में बच्चों के लिए लगाए गए झूले जो टूट चुके हैं।
पार्क के फुटपाथ की हालत भी खस्ता
बच्चों के लिए बनाए गए पार्क में बच्चों की जानकारी के लिए बनाए गए जानवरों के स्टेच्यू भी टूट चुके हैं। उसके साथ ही पार्क के अंदर जो पैदल चलने के लिए ट्रैक बनाया गया था वह भी टूट चुका है। जहां पर आम बच्चों के साथ स्थानीय निवासियों के लिए सैर करना भी मुसीबत बन चुका है। स्थानीय लोगों के अनुसार नए पार्क का निर्माण करना या फिर उसे अपग्रेड करना बेहतर है लेकिन जो चीज़ खराब हो रही है उन्हें नजरअंदाज करना सही नहीं है। चिल्ड्रन पार्क हालत सुधारने के लिए स्थानीय पार्षद के साथ-साथ नगर निगम को भी अपील की है लेकिन किसी की तरफ से कोई जबाव नहीं आया।
बच्चों का स्कूल जाना बंद, पार्क की हालत भी खराब
सेक्टर-47 के स्थानीय निवासी देवेंद्र कुमार ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते स्कूल बंद हैं। बच्चों को बाहर निकलने का एक साधन पार्क है, जिसमें वह आकर खुली हवा में बैठ सकते हैं या फिर खेल सकते हैं। लेकिन पार्क की हालत इतनी खराब है कि उसमें बच्चों को अकेले भेजने में डर लगता है। खेलने के साथ पैदल चलने में भी डर लगता है। वहीं मनदीप सिंह ने कहा कि नगर निगम के लाखों रुपये लगाने का कोई फायदा नहीं बनता यदि वह पुरानी चीज़ों को सहेजने और उसकी मरम्मत के लिए ध्यान नहीं देते।