चोट के डर से कच्चे ट्रैक पर दौड़ने से कतरा रहे एथलीट
एथलीट के लिए शहर में एक भी सिथेंटिक ट्रैक नहीं है जिस वजह से खिलाड़ियों को मजबूरन कच्चे ट्रैक पर दौड़ना पड़ता है। ऐसे में बारिश के मौसम में खासी दिक्कत पेश आती है।
विकास शर्मा, चंडीगढ़
एथलीट के लिए शहर में एक भी सिथेंटिक ट्रैक नहीं है, जिस वजह से खिलाड़ियों को मजबूरन कच्चे ट्रैक पर दौड़ना पड़ता है। ऐसे में बारिश के मौसम में खासी दिक्कत पेश आती है। कच्चा ट्रैक मिट्टी व सीमेंट से बना होता है, जिससे बारिश के बाद इस ट्रैक पर दौड़ने से चोट लगने का डर रहता है। इसलिए खिलाड़ी अपनी लय में प्रेक्टिस नहीं कर पाते हैं और लय बिगड़ने से वह अपनी प्रेक्टिस में पिछड़ जाते हैं। एथलीट प्रकाश ने बताया कि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के तमाम टूर्नामेंट सिथेंटिक पर होते हैं। ऐसे में जब भी कोई बड़ा टूर्नामेंट होता है तो हमें प्रेक्टिस के लिए पंचकूला जाना पड़ता है। इससे समय की काफी बर्बादी होती है। इसके अलावा सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि हम कच्चे ट्रैक पर प्रेक्टिस करते हैं, जब भी कोई बड़ा टूर्नामेंट होता है तो सिथेटिक ट्रैक पर दौड़ने का अभ्यास नहीं होने की वजह से हमारी वह स्पीड नहीं बन पाती और हम पिछड़ जाते हैं।
सालों से लटका है सिथेंटिक ट्रैक का काम
स्पोर्ट्स काप्लेक्स-7 में सालों से सिथेंटिक ट्रैक बन रहा है, लेकिन सरकार की लापरवाही से अभी तक जमीनी स्तर पर इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। सालों से सिथेंटिक ट्रैक निर्माण की फाइल एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस तक दौड़ रही हैं। लापरवाही का आलम यह है कि अधिकारियों के पास इस बाबत भी कोई स्टीक जवाब नहीं है, जितने अधिकारी हैं उतने ही जवाब हैं। गौरतलब है कि सिथेंटिक ट्रैक निर्माण में हो रही देरी के बाबत पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर भी आपत्ति जता चुके हैं। कोट्स -
स्पोर्ट्स कांप्लेक्स-7 में सिथेंटिक ट्रैक बनाने को लेकर स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट ने अपनी तरफ से औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। अब इंजीनियरिग डिपार्टमेंट की तरफ से निर्माण कार्य शुरू होना बाकी है। कोरोना महामारी के चलते इसके निर्माण कार्य में देरी हुई है। उम्मीद है कि इसका काम जल्द शुरू हो जाएगा।
-तेजदीप सिंह सैनी, डायरेक्टर, यूटी स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट।