जितने में प्रापर्टी खरीदी, अब बेचने पर कई गुना ज्यादा प्रॉफिट लेता है प्रशासन

शहर में कामर्शियल प्रापर्टी और निजी सोसाइटियों के फ्लैट धारकों से प्रशासन की ओर से चार्ज किए जाने वाले अनअर्नड प्रॉफिट का मामला गरमा गया है। मामला अब प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित तक पहुंचा है। असल में यह अनअर्नड प्रॉफिट उन प्रापर्टी पर चार्ज होता है जो कि प्रशासन की ओर से शहरवासियों को अलॉट की गई है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 07:09 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 07:09 AM (IST)
जितने में प्रापर्टी खरीदी, अब बेचने पर कई गुना ज्यादा प्रॉफिट लेता है प्रशासन
जितने में प्रापर्टी खरीदी, अब बेचने पर कई गुना ज्यादा प्रॉफिट लेता है प्रशासन

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़

शहर में कामर्शियल प्रापर्टी और निजी सोसाइटियों के फ्लैट धारकों से प्रशासन की ओर से चार्ज किए जाने वाले अनअर्नड प्रॉफिट का मामला गरमा गया है। मामला अब प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित तक पहुंचा है। असल में यह अनअर्नड प्रॉफिट उन प्रापर्टी पर चार्ज होता है जो कि प्रशासन की ओर से शहरवासियों को अलॉट की गई है। जबकि प्रशासन ने दो साल पहले रेजिडेंशियल प्रापर्टी से अनअर्नड प्रॉफिट चार्ज करने के फैसले को खारिज कर दिया है। ऐसे में यह सिर्फ कामर्शियल और निजी सोसाइटियों से चार्ज किया जा रहा है। शहर के दक्षिणी सेक्टर में 130 निजी सोसाइटियां हैं, जहां पर हजारों फ्लैट है। जबकि नीलामी से खरीदी गई प्रापर्टी को बेचने पर अनअर्नड प्रॉफिट चार्ज नहीं होता है। ऐसे में शहरवासियों का कहना है कि एक शहर में एक ही तरह की प्रापर्टी पर अलग-अलग नियम क्यों लागू हो रहे हैं। चंडीगढ़ में सेक्टर-48 से 51 तक 108 ग्रुप हाउसिग सोसाइटीज हैं। वहां लगभग 13000 परिवार रहते हैं। क्या है अनअर्नड प्रॉफिट

जब अलॉट हुई प्रापर्टी को उसका मालिक किसी और को बेचता है तो रजिस्ट्री के समय प्रापर्टी की वर्तमान वेल्यू का एक तिहाई अनअर्नड प्रॉफिट के तौर पर शुल्क प्रशासन चार्ज करता है। जबकि लोगों का कहना है कि अगर अनअर्नड प्रॉफिट लेना ही है तो अलाटमेंट वेल्यू का लिया जाना चाहिए। शहर में 50 फीसद दुकानें और शोरूम ऐसे हैं, जो कि प्रशासन की ओर से अलॉट किए गए हैं। जबकि बाकी कामर्शियल प्रापर्टी नीलामी प्रक्रिया के जरिये मालिकों ने खरीदी गई है। नीलाम प्रापर्टी पर अनअर्नड प्रॉफिट चार्ज नहीं किया जाता है। दो अलग-अलग नियम

उद्योग व्यापार मंडल ने इस मामले में गृह मंत्रालय को भी पत्र लिखा है। उद्योग व्यापार मंडल के संयोजक कैलाश जैन का कहना है कि 40 साल पहले प्रशासन ने एक दुकान को दो लाख रुपये में अलॉट किया। जबकि उसके साथ वाले ने उसी तरह की दुकान सवा दो लाख रुपये में बोली देकर खरीदी। यदि दो लाख रुपये में खरीदी गई दुकान को वह बेचता है तो इस समय उसकी मार्केट वेल्यू एक करोड़ रुपये है। ऐसे में उसे एक तिहाई अनअर्नड प्रॉफिट भी प्रशासन को जमा करवानी होगी। जो कि अलॉटमेंट में दी गई राशि के मुकाबले कई गुना ज्यादा है। जबकि नीलामी द्वारा खरीदी गई प्रापर्टी बेचने पर यह नियम लागू नहीं होता। उनका कहना है कि अलॉट प्रापर्टी पावर ऑफ अटार्नी पर बेची जाए तो इससे प्रशासन को ही नुकसान है क्योंकि उन्हें स्टांप ड्यूटी नहीं मिल पा रही है। निजी सोसाइटियों में भी अगर कोई अपना फ्लैट बेचता है तो उसे फ्लैट की मार्केट वेल्यू का अनअर्नड प्रॉफिट अदा करना पड़ता है। जबकि प्रशासन ने कई साल पहले फ्लैट बनाने के लिए सोसाइटी की जमीन अलॉट की थी। सोसायटी प्रतिनिधियों ने भी जताया विरोध, महापंचायत 26 को

शनिवार को निजी सोसाइटियों के प्रतिनिधियों ने प्रेसवार्ता कर चार्ज किए जा रहे प्रॉफिट के खिलाफ अपना विरोध जाहिर किया। इन प्रतिनिधियों का आरोप है कि जिस वक्त पूरा शहर कोरोना की वजह से घरों में कैद था, बिजनेस ठप पड़े थे। लोगों पर जीने का संकट पैदा हो गया था। उस वक्त चंडीगढ़ प्रशासन ने चुपके से ग्रुप हाउसिग सोसायटीज के लिए ट्रांसफर पॉलिसी में नया नियम जोड़ दिया। जबकि पहले ऐसा नहीं था। प्रशासन ने सभी सोसायटीज के फ्लैट्स पर ट्रांसफर के नाम पर लाखों रुपये अनअर्नड प्रॉफिट के वसूलने शुरू कर दिए। अब इस अनअर्नड प्रॉफिट का खुलकर विरोध शुरू हो गया है। प्रतिनिधियों का कहना है कि प्रशासन के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरेंगे और 26 सितंबर को महा पंचायत करके सख्त कदम उठाए जाएंगे। अब हाल यह है कि अगर कोई भी व्यक्ति फ्लैट की ट्रांसफर करवाता है तो उसने अनअर्नड प्रॉफिट के नाम पर 8 लाख रुपये से 13 लाख रुपये तक भरने पड़ते हैं। इसके अलावा रजिस्ट्री का खर्चा और 18 परसेंट जीएसटी का भी भुगतान करना पड़ता है। चंडीगढ़ ग्रुप हाउसिग सोसायटी काउंसिल वेलफेयर काउंसिल के पदाधिकारियों का कहना है सोसाइटियों के अंदर के डेवलपमेंट से जुड़े काम भी हम खुद ही करवा रहे हैं। तो फिर सरकार अब प्रॉफिट क्यों मांग रही है। अनअर्नड प्रॉफिट की वजह से फ्लैट की खरोद-फरोख्त पर काफी असर पड़ा है।

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