मिलिए मोहाली की 'अलगोजा गर्ल' अनुरीत पाल कौर से, India Book of Records दर्ज हुआ नाम

अनुरीत ने बताया कि उसे बचपन से ही कुछ अलग करने का शौक था। घरवालों ने पढ़ाई करवाई और बिजनेस मार्केटिंग का कोर्स कराया लेकिन एक दिन पापा ने मुझे खुद अलगोजा बजाने के लिए प्रेरित किया और गुरु के साथ गुरु-चेला परंपरा के तहत मैंने अलगोजा थमा दिया।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 03:56 PM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 03:56 PM (IST)
मिलिए मोहाली की 'अलगोजा गर्ल' अनुरीत पाल कौर से, India Book of Records दर्ज हुआ नाम
अनुरीत पाल कौर देश ही नहीं बल्कि विश्व की पहली अलगोजा बजाने वाली लड़की है।

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। चंडीगढ़ के पड़ोसी शहर मोहाली की अनुरीत पाल कौर अब 'अलगोजा गर्ल' से नाम से अपनी पहचान बना चुकी हैं। अनुरीत कौर ने अलगोजा (वाध्य यंत्र) बजाकर खुद का नाम इंडिया बुक आफ रिकार्ड (India Book of Records) में दर्ज करवाया है। ऐसा करने वाली अनुरीत पाल कौर देश ही नहीं बल्कि विश्व की पहली लड़की बनी है। अनुरीत ने एक साथ दो बांसुरियों से उनकी धुनों को एक सुर में पिरोया है। अनुरीत पाल कौर मोहाली के फेज-1 में परिवार के साथ रहती हैं।

अनुरीत ने बताया कि उसे बचपन से ही कुछ अलग करने का शौक था। घरवालों ने पढ़ाई करवाई और बिजनेस मार्केटिंग का कोर्स कराया, लेकिन एक दिन पापा ने मुझे खुद अलगोजा बजाने के लिए प्रेरित किया और गुरु के साथ गुरु-चेला परंपरा के तहत मैंने अलगोजा थमा दिया। गीत-संगीत में अनुरीत पाल कौर 10 से 15 मिनट तक अलगोजा एक साथ बजा सकती है, जबकि बिना गायक के अलगोजा बजाना हो तो सुरों को साढ़े चार से पांच मिनट तक बजा सकती है।

पिता ने दोस्त के साथ किया था वादा, उसे बेटी ने निभाया 

अनुरीत ने बताया कि परिवार संगीत से जुड़ा हुआ है। पिता नरेंद्र नीना चंडीगढ़ प्रशासन के हॉल्टीकल्चर विभाग में कार्यरत हैं। शौक के तौर पर वह पंजाबी सिनेमा से जुड़े हुए हैं। पिता के दोस्त गुरु कर्मजीत सिंह बग्गा को तीन साल पहले किसी ने कहा कि गुरु-चेला परंपरा में किसी बेटी को अलगोजा क्याें नहीं बजाने का मौका दिया जाता। पापा ने गुरु से वायदा किया कि बेटी अनुरीत पाल कौर इस काम को करेगी। पापा के कहने पर अभ्यास शुरू किया। डेढ़ साल बाद नाम इंडिया बुक आफ रिकार्ड में दर्ज हो गया।

सभी के बस की बात नहीं अलगोजा बजाना

अलगोजा बजाने की तकनीक को लेकर अनुरीत ने बताया कि इसे बजाने के समय पर सांस लंबे समय तक रोकना पड़ता है। सांस रोकने के साथ पेट से जोर लगता है, जिसके बाद उंगुलियों को चलाते हुए सुरों को एक लय में लाना पड़ता है। शुरुआत में अलगोजा बजाना मुश्किल लगता था, लेकिन बाद में इसे पूरी तरह से सीख जाने के बाद अब यह आसान लगता है। अनुरीत की मां ने कहा कि बेटी पर गर्व है कि वह समाज में कुछ हटकर कर रही है और खुद की चहचान बनाने के साथ परिवार का नाम भी रोशन किया है।

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