एयर प्यूरीफिकेशन टावर : 74 फीसद प्रदूषित हवा हो रही साफ, तापमान 31 से कम होकर पहुंचा 10 डिग्री सेल्सियस

इंटरनेशनल डे ऑफ क्लीन एयर फॉर ब्ल्यू स्काई के मौके पर मंगलवार को शहर के सबसे व्यस्त ट्रांसपोर्ट चौक पर देश के पहले सबसे ऊंचे फिल्टर लेस एयर प्यूरीफिकेशन टावर की मंगलवार को शुरुआत हुई। यूटी एडवाइजर धर्म पाल ने पर्यावरण डायरेक्टर देबेंद्र दलाई की मौजूदगी में टावर का उद्घाटन किया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Sep 2021 07:11 AM (IST) Updated:Wed, 08 Sep 2021 07:11 AM (IST)
एयर प्यूरीफिकेशन टावर : 74 फीसद प्रदूषित हवा हो रही साफ, तापमान 31 से कम होकर पहुंचा 10 डिग्री सेल्सियस
एयर प्यूरीफिकेशन टावर : 74 फीसद प्रदूषित हवा हो रही साफ, तापमान 31 से कम होकर पहुंचा 10 डिग्री सेल्सियस

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़

इंटरनेशनल डे ऑफ क्लीन एयर फॉर ब्ल्यू स्काई के मौके पर मंगलवार को शहर के सबसे व्यस्त ट्रांसपोर्ट चौक पर देश के पहले सबसे ऊंचे फिल्टर लेस एयर प्यूरीफिकेशन टावर की मंगलवार को शुरुआत हुई। यूटी एडवाइजर धर्म पाल ने पर्यावरण डायरेक्टर देबेंद्र दलाई की मौजूदगी में टावर का उद्घाटन किया। पहले ही दिन एयर प्यूरीफिकेशन टावर के बेहतरीन परिणाम सामने आए। यह टावर प्रदूषित हवा को 60 से 74 फीसद तक साफ कर वापस वातावरण में छोड़ता है। यही प्रक्रिया बार-बार चलती है। इससे प्रदूषण तो घट ही रहा है, साथ ही तापमान में भी बड़ी गिरावट हो रही है। टावर पर लगी डिजिटल डिस्प्ले पर इनटेक और बाहर निकलने वाली हवा का रियल टाइम डाटा डिस्प्ले होता है। इसमें किस केटेगरी का प्रदूषण कितना कम हो रहा है यह भी दर्शाता है। ऐसे काम करता है एयर प्यूरीफिकेशन टावर

टावर लगाने वाली कंपनी पायस एयर प्राइवेट लिमिटेड का दावा है कि देश का 25 मीटर हाइट वाला यह सबसे ऊंचा एयर प्यूरीफायर ट्रांसपोर्ट चौक के 500 मीटर रेडियस को कवर करता है। प्रदूषित हवा जाल लगे चैंबर से अंदर जाती है। यह चैंबर जमीन से 18 मीटर ऊंचाई पर है। फिर विभिन्न तरह की प्रदूषित हवा पर कई नोजल स्प्रे से पानी डलता है। इससे सभी हैवी पॉल्यूटेड एयर पर्टिकल्स बहकर ड्रेन ट्यूब में चले जाते हैं, जो वॉटर टैंक में एकत्र होते रहते हैं। इसके बाद प्यूरीफाई हो चुकी हवा को वापस टावर के टॉप से वातावरण में छोड़ दिया जाता है। फिल्टर लेस टेक्नोलॉजी पर आधारित है टावर

यह फिल्टर लेस टेक्नोलॉजी वाला टावर है। इससे पहले जो एयर प्यूरीफायर रहे हैं, उनमें फिल्टर होते थे। इन फिल्टर को बार-बार साफ करना पड़ता था। लेकिन इसकी खासियत यही है कि फिल्टर हैं ही नहीं। इस टेक्नोलॉजी को कंपनी ने पेटेंट कराया है। इसमें नोजल स्प्रे और फैन का इस्तेमाल किया गया है। यह दो युवाओं का है स्टार्टअप

मनोज जेना और नितिन आहलुवालिया ने इस प्रोजेक्ट को एक स्टार्टअप के तौर पर इंस्टॉल किया है। पायस एयर प्राइवेट लि. कंपनी के इन फाउंडर्स ने स्टार्टअप इंडिया के तहत इसे रजिस्टर्ड कराया है। सबसे खास बात यह है कि इसे दोनों ने निश्शुल्क इंस्टॉल किया है। जबकि इस पर चार करोड़ रुपये का खर्च बताया जा रहा है। यही कंपनी पांच साल के लिए इस प्रोजेक्ट को ऑपरेट और मेंटेन करेगी। इसका कोई खर्च प्रशासन को नहीं देना होगा। मनोज जेना ने बताया कि इस टावर के ऑपरेशन में किसी व्यक्ति की मौजूदगी जरूरी नहीं है यह पूरी तरह से ऑटोमेटिक है। जो एक टैब से कंट्रोल और ऑपरेट होता है। मनोज ने बताया कि रिकॉर्ड समय में यह प्रोजेक्ट पूरा किया है। टावर के माध्यम से अभी तक आठ करोड़ क्यूबिक फिट हवा हुई स्वच्छ

अभी तक यह एयर प्यूरीफिकेशन टावर आठ करोड़ क्यूबिक फिट हवा को साफ कर चुका है। यह टावर रोजाना 18 घंटे काम करेगा। इस दौरान रोजाना 3.88 करोड़ क्यूबिक फिट हवा यह इनटेक करेगा। इसे साफ करेगा। जानिए इनलेट और आउटलेट हवा में कितना पड़ता है फर्क

केटेगरी एयर क्वालिटी इनलेट एयर क्वालिटी आउटलेट

पीएम 2.5 55 17 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर

पीएम 10 97 21 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर एसओ-2 0.7 0.4 पीपीएम एनओ-2 0.9 0.6 पीपीएम इनलेट एयर टेंपरेचर 31 आउटलेट एयर टेंपरेचर 10 डिग्री सेल्सियस

कोरोना महामारी ने स्वच्छ हवा ऑक्सीजन के महत्व को अच्छे से समझाया है। यूनाइटेड नेशनल इन्वायरमेंट प्रोग्राम का इस साल थीम हेल्दी एयर, हेल्दी प्लेनेट है। यह एयर प्यूरीफिकेशन टावर हवा को स्वच्छ करेगा। हवा को साफ करने के लिए यह प्रयास किए जा रहे हैं। एयर प्यूरीफिकेशन टावर के परिणाम बहुत अच्छे हैं। दूसरे प्रदूषित चौक भी ऐसे टावर लगाने के लिए चिन्हित किए जाएंगे।

- देबेंद्र दलाई, चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट, चंडीगढ़।

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