चंडीगढ़ में कूड़ा उठाने वाले वाहनों पर आप नेता प्रेम गर्ग ने जताई आपत्ति, कहा- यह पैसे और संसाधनों की बर्बादी
चंडीगढ़ नगर निगम द्वारा डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने वाले वाहनों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए आप नेता प्रेम गर्ग ने इस पर आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे सीधे तौर पर पैसे और संसाधनों की बर्बादी कहा है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ ने शहर का कचरा उठाने के लिए शहर में लगभग 500 डीजल वाहनों का उपयोग करने के लिए इसे पैसे और संसाधनों की बर्बादी बताया है। आप संयोजक प्रेम गर्ग ने वाहन के दोनों डिब्बे में बैठे कूड़ा बीनने वालों और वाहन के साइड पर लटके बड़े-बड़े कूड़ेदानों की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है।
गर्ग का कहना है कि एक तरफ देश में प्रदूषण कम करने के लिए डीजल से चलने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से बंद किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ चंडीगढ़ नगर निगम ने सैकड़ों डीजल वाहनों का उपयोग कूड़ा उठाने के लिए कर रहा है, जो शहर में प्रदूषण फैलाने का काम कर रहे हैं। एक ही वाहन पर दो अलग-अलग डिब्बे रखना कोई अच्छा विचार नहीं है। गैर रसोई कचरा वाहनों को किचन वेस्ट वाहनों से अलग किया जाना चाहिए क्योंकि इन्हें अलग-अलग स्थानों पर उतारा जाता है।
गर्ग का यह भी कहना है कि सूखे और गीले कचरे की जगह इसे रसोई और बिना रसोई का कचरा कहना चाहिए। किसी भी सेक्टर के किचन वेस्ट को उसी सेक्टर के भीतर ही कंपोस्ट किया जाना चाहिए, हर सेक्टर में कंपोस्ट बिन्स या मिनी कंपोस्ट प्लांट लगाकर ऐसा किया जा सकता है। डड्डूमाजरा को शहर का कूड़ेदान क्यों बनाया जाए और शहरवासियों की लापरवाही का खामियाजा डड्डूमाजरा के लोग क्यों भुगतना पड़ता है। घरों, बाजारों या सेक्टरों में ही रसोई के कचरे को कंपोस्ट करने के लिए आरडब्ल्यूए, बाजार समितियों और आवास समितियों को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। इस तरह हर क्षेत्र के निवासी रसोई और गैर-रसोई कचरे के साथ कचरे को अलग करने के प्रति अधिक जागरूक और जिम्मेदार हो जाएंगे।
शहर निवासियों को बिना किसी प्लास्टिक बैग का उपयोग किए, सेक्टर के भीतर सामान्य कचरा सुविधा में रसोई के कचरे का निपटान करना चाहिए या उचित कचरा डिब्बे का उपयोग करना चाहिए, जिसे कचरा संग्रह वाहनों द्वारा उठाया जा सकता है और ऐसे मिनी कचरा कंपोस्ट डिब्बे या सेक्टर के भीतर ही संयंत्र में डाल दिया जाना चाहिए। सिर्फ गैर रसोई कचरा मुख्य कचरा प्रसंस्करण संयंत्रों में ले जाया जाना चाहिए। इस तरह 70 से 80 फीसद कचरे से सेक्टर में ही खाद बनाई जा सकती है और ऐसी खाद या तरल जैव उर्वरक का उपयोग पार्कों के भीतर और लोगों द्वारा अपने बगीचों में किया जा सकता है।