195 बेकार सरकारी आवासों में से 60 फिर आवंटन के लिए तैयार, बाकी के 135 पर भी चल रहा काम
चंडीगढ़ में रहने के लिए बेकार हो चुके 195 सरकारी आवासों में से 60 को दोबारा चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को आवंटित करने के योग्य बना दिया गया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। चंडीगढ़ में रहने के लिए बेकार हो चुके 195 सरकारी आवासों में से 60 को दोबारा चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को आवंटित करने के योग्य बना दिया गया है। सरकारी आवासों की मरम्मत के संबंध में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में विचाराधीन मामले में दायर किए गए जवाब में चंडीगढ़ प्रशासन ने कहा है कि इसके अलावा लंबे समय से खाली पड़े अन्य 135 आवासों को भी 31 जुलाई तक आवंटन के योग्य बना दिया जाएगा। सरकारी आवासों की मरम्मत के संबंध में हाईकोर्ट में विचाराधीन मामले में चंडीगढ़ के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर यशपाल गुप्ता द्वारा दायर किए गए हलफनामे में कहा गया है कि आवास करने योग्य न रहे 92 सरकारी आवासों की मरम्मत इन दिनों जारी है और बाकी 43 आवासों की मरम्मत के लिए एस्टीमेट तैयार करके स्वीकृति के लिए उपयुक्त अधिकारियों को भेजे जा चुके हैं।
दीवार के बजाय वैकल्पिक व्यवस्था की कही गई बात
हलफनामे के अनुसार शहर में सरकारी आवासों में रहने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए इन आवासों में बाउंड्री वॉल के लिए ईंटों की दीवार के बजाय वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए चीफ आर्किटेक्ट के कार्यालय को कहा गया है। हलफनामे में यह भी कहा गया है कि बागवानी विभाग ने सरकारी आवासों में स्थित सभी वृक्षों का सर्वेक्षण आरंभ किया है, ताकि अब तक 5460 वृक्षों का सर्वेक्षण किया जा चुका है और इस सर्वेक्षण से लोगों के लिए खतरे की संभावना वाले पेड़ों की छंटाई की जा सकेगी। इसके अलावा प्रशासन ने सरकारी आवासों में रहने वालों की मरम्मत संबंधी शिकायतों के निवारण के लिए ई-आवास पोर्टल भी उपलब्ध करवा दिया है और इसके लिए ऑनलाइन एप भी बनाई जा रही है।
चीफ आर्किटेक्ट के व्यवहार पर नजर रखें एडवाइजर
इस मामले में सुनवाई के दौरान, चंडीगढ़ के चीफ आर्किटेक्ट को कड़ी फटकार लगाते हुए जस्टिस राजीव नारायण रैना की पीठ ने कहा है कि चंडीगढ़ प्रशासक के सलाहकार चीफ आर्किटेक्ट की कार्यशैली पर नजर रखें। जस्टिस रैना की यह टिप्पणी तब आई जब अदालत को बताया गया कि चंडीगढ़ के श्मशान घाट में शवदाह स्थल को बारिश से बचाने के लिए आवश्यक निर्माण की ड्राइंग पिछले कई महीनों से चीफ आर्किटेक्ट के कार्यालय में लंबित पड़ी है। इस पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने एडवाइजर को चीफ आर्किटेक्ट के रवैये पर नजर रखने के आदेश दिए हैं। सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट ने सेक्टर-25 और मनीमाजरा स्थित शमशान घाटों को पेड़-पौधे लगा कर बेहतर बनाने के भी निर्देश दिए हैं।
ब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल को किया था नामंजूर
गौरतलब है कि इससे पहले चंडीगढ़ प्रशासन ने शहर में सरकारी आवासों की मरम्मत का काम पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर करवाने के सुझाव को नामंजूर कर दिया था। इससे पहले हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों को आवंटित होने वाले आवासों के रखरखाव के लिए उसमें रहने वाले कर्मचारी को ही जिम्मेदार बनाने के लिए पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में पायलट प्रोजेक्ट आरंभ करने को भी कहा था, परंतु इस पर चंडीगढ़ प्रशासन ने इन्कार कर दिया था।
हाईकोर्ट ने दिया था निश्चित भत्ता देने का सुझाव
इस सुझाव में हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकारी आवास हासिल करने वाले कर्मचारी को एक निश्चित मेंटेनेंस भत्ता देकर सरकारी आवास के रखरखाव के लिए जिम्मेदार बनाया जा सकता है। गौरतलब है कि चंडीगढ़ में सरकारी आवासों की मरम्मत को लेकर प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ हाईकोर्ट के कर्मचारी चैनलाल द्वारा दायर याचिका से यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा था। प्रशासन ने अदालत को बताया था कि शहर में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के कर्मचारियों को विभिन्न सेक्टरों में कुल 1400 आवास आवंटित किए गए हैं। इन आवासों की मरम्मत के लिए प्रशासन ने हाईकोर्ट में शिकायत केन्द्र भी खोल दिया है।
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