44 प्रतिशत महिलाएं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की शिकार, जानें कैसे रखें ध्यान

44.74 प्रतिशत प्रेग्नेंट महिलाएं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के किसी न किसी फैक्टर से ग्रस्त हैं। कोई महिला खून की कमी से जूझ रही है तो कोई डायबिटीज और मोटापे से।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 22 Mar 2019 01:38 PM (IST) Updated:Sat, 23 Mar 2019 08:48 AM (IST)
44 प्रतिशत महिलाएं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की शिकार, जानें कैसे रखें ध्यान
44 प्रतिशत महिलाएं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी की शिकार, जानें कैसे रखें ध्यान

चंडीगढ़ [वीणा तिवारी]। चंडीगढ़ की 44.74 प्रतिशत प्रेग्नेंट महिलाएं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के किसी न किसी फैक्टर से ग्रस्त हैं। कोई महिला खून की कमी से जूझ रही है तो कोई डायबिटीज और मोटापे से। इसकी पुष्टि हो रही है स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से, जिसमें गवर्नमेंट मल्टी स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में एक साल के दौरान ओपीडी में आई 23 हजार प्रेग्नेंट महिलाओं में से 10 हजार महिलाएं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में चिन्हित की गई है।

गाइनी डिपार्टमेंट के डॉक्टरों का कहना है कि खान-पान और रहन-सहन में बरती जा रही लापरवाही, इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है, इसलिए ओपीडी में आने वाली प्रत्येक प्रेग्नेंट महिला को डाइट और हेल्थ संबंधी जरूरी जानकारी दी जाती है।

क्या है हाई रिस्क प्रेग्नेंसी आप भी जान लें...

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का मतलब है प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसी समस्याएं होना जो बच्चे के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। इसके मुख्य कारणों में खून की कमी के साथ ही मां का कम या ज्यादा उम्र का होना, कमजोर या मोटा होना, एचआइवी पॉजीटिव होना, ब्लड प्रेशर की समस्या होना, एक से अधिक बार गर्भपात होना, गर्भस्थ शिशु का वजन मानक के कम होना, बच्चे का विकास धीमी गति से होना, डायबिटीज, टीबी, पीलिया, थायराइड होना शामिल है।

चंडीगढ़ की स्थिति चिंताजनक

नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे 4 की रिपोर्ट बताती है कि चंडीगढ़ वालों में खून की कमी सबसे बड़ी समस्या है। खासतौर पर बच्चों और महिलाओं में इसकी स्थिति गंभीर है।

ऐसे करें बचाव

हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचाव के उपाय बेहद आसान हैं। इसके लिए महिला को अपने स्तर पर सजग रहना होगा। खासतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान नियमित चेकअप, पोषकतत्व युक्त आहार लेना, व्यक्तिगत स्वच्छता, तनाव न लेना, डॉक्टर की सलाह से योग या व्यायाम करना, शराब और सिगरेट का सेवन न करें, बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी प्रकार की दवा न लेना।

ताकि प्रेग्नेंसी में न हो खून की कमी प्रेग्नेंसी के दौरान हीमोग्लोबिन की जांच कराएं प्रेग्नेंसी के चौथे माह से लेकर डिलीवरी के 6 माह बाद तक फोलिक एसिड की गोली लें आयरन के साथ ही विटामिन सी युक्त आहार लें पानी उबालकर पीएं अगर फोलिक एसिड की गोली लेने पर मिचली आए तो डॉक्टर से परामर्श लें आयरन की गोली खाली पेट न लें इसे चाय, कॉफी या दूध से न लें

गवर्नमेंट हॉस्पिटल के गाइनी विंग का आंकड़ा बयां कर रहा सच्चाई

2018 अप्रैल से फरवरी 2019 तक की रिपोर्ट

कुल ओपीडी    23685 कुल हाई रिस्क केस  10597 कुल डिलीवरी   8410

रिपोर्ट कर रही स्थिति बयां

6 से 59 माह के एनीमिया ग्रस्त बच्चे- 73.1 प्रतिशत 15 से 49 साल की एनीमिया ग्रस्त महिलाएं- 75.9 प्रतिशत एनीमिया ग्रस्त पुरुष-19.3 प्रतिशत

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