पंजाब कृषि विभाग में 40 साल की सेवा, न पक्का किया और न मिली पेंशन, अब हाई कोर्ट से मिला न्याय

पंजाब के पटियाला में 40 वर्ष तक नौकरी करने के बावजूद महिला को रेगुलर नहीं किया गया। वह रिटायर भी हो गई। अब महिला ने जब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में पेंशन की गुहार लगाई तो उसे न्याय मिला।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 11:33 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 11:33 AM (IST)
पंजाब कृषि विभाग में 40 साल की सेवा, न पक्का किया और न मिली पेंशन, अब हाई कोर्ट से मिला न्याय
40 वर्ष नौकरी, न पेंशन न हुई महिला रेगुलर, अब मिला न्याय। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने 40 साल से अधिक समय तक पार्ट टाइम स्वीपर की नौकरी करने वाली महिला को नियमित न करने व सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन न देने पर पंजाब सरकार की कड़ी आलोचना की है।

जस्टिस जेएस पूरी की अदालत में सुरजीत कौर ने बताया कि वह पटियाला में कृषि विभाग में 1970 से पार्ट-टाइम स्वीपर के पद पर कार्यरत थी । पंजाब सरकार ने चार मार्च 1999 में एक पॉलिसी लागूू करते हुए उन सभी कर्मियों को रेगुलर करने का निर्णय लिया था, जो कि दस वर्ष से अधिक समय से कार्यरत थे। इसके बावजूद याचिकाकर्ता को रेगुलर नहीं किया गया, जबकि उसके साथ के कुछ कर्मियों को वर्ष 2012 में सरकार ने रेगुलर किया था।

याचिकाकर्ता ने बताया कि वह 2013 में रिटायर हो गई थी, लेकिन रिटायरमेंट के बाद उसे पेंशन जारी नहीं की गई, क्योंकि वह रेगुलर कर्मी नहीं थी। इसके जवाब में पंजाब सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि महिला ने अपना जन्म प्रमाण पत्र नहीं दिया था और वैसे भी याचिकाकर्ता वर्ष 1984 से दिसंबर 2012 तक कार्यरत रही है।

इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि जब सरकार यह स्वीकार करती है वह वर्ष 1984 से कार्यरत थी तो सरकार को उसे रेगुलर करने और पेंशन देने में क्या परेशानी है। सरकार कैसे इतनी असंवेदनशील हो सकती है, लिहाजा हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को वर्ष 2012 जिस दिन से उसके सहकर्मी रेगुलर हुए थे, उस दिन से रेगुलर करने और उसी आधार पर पेंशन तय कर चार सप्ताह में पेंशन जारी किए जाने के आदेश दे दिए हैं। इसके साथ ही जस्टिस जेएस पूरी ने कहा कि सरकार का यह रवैया अमानवीय दृष्टिकोण दिखाता है। यही नहीं यह मामला सरकार की असंवेदनशीलता और मनमानेपन का एक उदहारण है।

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