एमसी के सरकारी खाते से फर्जी चेक लगा निकाले 28 लाख, 1.21 करोड़ निकालने का प्रयास

पुलिस विभाग में मुलाजिमों की सैलरी घोटाले के बाद नगर निगम (एमसी) के सरकारी बैंक खाते से लाखों रुपये फर्जी तरीके से निकाले जाने का खुलासा हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 06:15 AM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 06:15 AM (IST)
एमसी के सरकारी खाते से फर्जी चेक लगा निकाले 28 लाख, 1.21 करोड़ निकालने का प्रयास
एमसी के सरकारी खाते से फर्जी चेक लगा निकाले 28 लाख, 1.21 करोड़ निकालने का प्रयास

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पुलिस विभाग में मुलाजिमों की सैलरी घोटाले के बाद नगर निगम (एमसी) के सरकारी बैंक खाते से लाखों रुपये फर्जी तरीके से निकाले जाने का खुलासा हुआ है। एक आरोपित ने सेक्टर-37 स्थित नगर निगम के बैंक ऑफ बड़ौदा में सरकारी अकाउंट में फर्जी चेक लगाकर 28 लाख 51 हजार रुपये निकाल लिए। आरोपित इस पर ही नहीं रुका और दूसरी ही बार में दो अलग-अलग चेक लगाकर एक करोड़ 21 लाख रुपये निकालने की कोशिश की। बैंक मैनेजर से सूचना मिलने पर निगम के चीफ अकाउंट आफिसर वरिदर सिंह ठाकुर ने सेक्टर-17 थाना पुलिस को शिकायत दी। मामले की जांच के बाद पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ आइपीसी की धारा 419, 420, 467, 468, 471 के तहत केस दर्ज कर लिया है। खास बात यह है कि नगर निगम के चीफ अकाउंट आफिसर वरिदर सिंह पुलिस विभाग की सैलरी ब्रांच में भी तैनात रह चुके हैं।

जानकारी के अनुसार 11 अक्टूबर को एमसी के अकाउंट से 28 लाख 51 हजार रुपये का एक अकाउंट पेई चेक लगाकर आरोपित ने नकद भुगतान कर लिया। इसके बाद आरोपित ने 18 अक्टूबर के बीच दो अलग-अलग चेक भी बैंक ऑफ बड़ौदा में लगाए। इसमें एक चेक 98 लाख 51 हजार रुपये और दूसरा चेक 22 लाख 50 हजार रुपये का था। इस चेक को लेकर शंका होने पर बैंक मैनेजर ने एमसी के चीफ अकाउंट आफिसर से संपर्क किया तो उन्होंने ऐसे कोई चेक जारी ही नहीं करने की बात कही। बैंक मैनेजर ने चीफ अकाउंट आफिसर को दी सूचना

निगम के अकाउंट से एक करोड़ 21 लाख के दो अकाउंट पेई चेक लगाने के बाद कुछ गड़बड़ी मिलने पर कर्मचारी ने मैनेजर को सूचना दी। इस पर मैनेजर ने तुरंत चीफ अकाउंट आफिसर वरिदर सिंह ठाकुर को कॉल कर गड़बड़ी की सूचना दी। इस पर चीफ आफिसर खुद बैंक में पहुंचे। वहां पर जांच में सामने आया कि दोनों चेक और उनके हस्ताक्षर फर्जी हैं। इसके बाद सेक्टर-17 थाना पुलिस को सूचना दी गई। दो अफसर से हस्ताक्षर के बाद चेक होता है कैश

निगम के सरकारी अकाउंट से इस तरह की धोखाधड़ी के बाद पुलिस की जांच की सुई विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की तरफ घूम गई है। दरअसल, निगम के किसी भी सरकारी अकाउंट से नकदी निकालने से पहले चेक पर दो अधिकारियों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है। पहले निगम के ज्वाइंट कमिश्नर और दूसरा चीफ अकाउंट्स आफिसर के हस्ताक्षर होने अनिवार्य हैं। वर्तमान में ज्वाइंट कमिश्नर रोहित गुप्ता और चीफ अकाउंट आफिसर वरिदर सिंह ठाकुर हैं। सेक्शन आफिसर के आउटसोर्स पर लगे बेटे के पास है चेकबुक

निगम के सरकारी बैंक खातों की चेकबुक डीडीओ की कस्टडी में होनी चाहिए। सूत्रों के अनुसार अभी इस बैंक की चेकबुक आउटसोर्स पर लगे एक कर्मचारी के पास है। वह कर्मचारी एक सेक्शन आफिसर का बेटा है। उसे निगम में तैनात करवाया गया है। वहीं, निगम में कार्यरत तकरीबन नौ हजार अधिकारियों-कर्मचारियों की सैलरी, ठेकेदारों के भुगतान सहित विभिन्न सरकारी कार्यो के लिए इसी बैंक खाते से फंड रिलीज किया जाता है। हालांकि, इस तरह के निगम के अन्य भी सरकारी बैंक खाते हैं। पुलिस अब उनकी भी जांच कर रही है।

बैंक खाते से आउटसोर्स कर्मी का मोबाइल नंबर अटैच

आरोपित ने फर्जी चेक और हस्ताक्षर करने के साथ ही मैसेज मिलने वाले अकाउंट के साथ अटैच मोबाइल नंबर को भी हैक कर लिया। पहले फर्जी चेक लगाकर पैसे निकाले और अकाउंट के अटैच नंबर आउटसोर्स कर्मचारी का दे रखा है। जबकि, अकाउंट से अटैच नंबर चीफ अकाउंट आफिसर का होना चाहिए।

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