Online Classes के लिए दिए स्मार्टफोन्स से बच्चों में बढ़ा PUBG का चस्का, हिप्नोटाइज कर ठगे जा रहे लाखों
पब्जी में परिवार के तीन लाख रुपये उड़ा चुके बच्चे ने अपने दादा की अकाउंट हैक किया हुआ था। इसके लिए उसने परिजनों से छुपाकर एक अलग से सिम कार्ड ले रखा था।
मोहाली, जेएनएन। बच्चों के लिए बनाई टारगेट बैटल ग्राउंड (पब्जी गेम) के घातक नतीजे सामने आ रहे हैं। महज तीन दिन में मोहाली में पब्जी खेलने वाले दो बच्चों से कुल 19 लाख रुपये ठगे जा चुके हैं। परिवार को उसका पता तब चला, जब बैंक खाते में पड़ी लाखों की रकम कुछ दिनों में खाली हो गई। जी हां, मोहाली की एक नामी सोसायटी में रहने वाले 15 वर्षीय बच्चे के माइंड को हिप्नोटाइज कर पब्जी गेम में इस्तेमाल होने वाले वेपन व बुलेट प्रूफ जैकेट के नाम पर कंट्रोलर द्वारा लाखों रुपये ठगे जा रहे हैं।
पब्जी का शिकार हुए बच्चे के पिता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लॉकडाउन के दौरान स्कूल वालों ने बच्चों की ऑनलाइन क्लॉसेज शुरू की, जिसके लिए बच्चों को स्मार्टफोन लेकर देना पड़ा। बच्चे ने दो महीने पहले पब्जी खेलना शुरू किया। उसे पब्जी गेम के बारे में उसके क्लासमेट ने बताया था।
बच्चों को किया जा रहा हिप्नोटाइज
पीड़ित बच्चे के पिता ने बताया कि उनका बेटा अब तक पब्जी में तीन लाख रुपये डूबा चुका है। पब्जी में चार लोगों की टीम एक टारगेट चूज करती है, जिसमें एक मिशन के तहत आतंकवादी को मारना होता है। इसके लिए अच्छे वेपन व बुलेट प्रूफ जैकेट की जरूरत पड़ती है, लेकिन पब्जी गेम में कुछ कंट्रोलर ने इसमें अपने अकाउंट बनाए हैं, जिन्होंने गेम को अगले लेवल पर जाने के लिए इन वेपन व बुलेट प्रूफ जैकेट (स्किन) को पेड कर दिया है। यह कंट्रोलर ही बच्चों का माइंड हिप्नोटाइज कर रहे हैं जिसके बाद उनसे धीरे-धीरे रकम निकवाई जा रही है। यह बच्चा अपने घर से कभी हार्ड कैश तो कभी अकाउंट से कंट्रोलर को पैसे भेज रहा था।
अपने ही दादा का अकाउंट किया हुआ था हैक
पब्जी में पैसे डूबा चुके बच्चे ने अपने खुद के दादा का ही अकाउंट हैक किया हुआ था। ऑनलाइन क्लासेज के लिए मिले स्मार्टफोन में उसने अपने परिजनों से चोरी एक अलग सिम रखा हुआ था। जब उसके पिता उसका फोन चेक कर रहे थे, तो उन्हें दूसरा सिम मिला, जब उन्होंने सिम को फोन में डाला, तो उसमें उसके दादा के नाम का एक पेटीएम अकाउंट बना हुआ मिला, जोकि कंट्रोलर ने बनवाया था। जिसमें उसके दादा के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के खाते की पूरी डिटेल शामिल थी। पब्जी खेलने वाला बच्चा अकाउंट से पैसे ट्रांसफर करने के बाद अपने दादा के मोबाइल पर आए बैंक के मैसेज को डिलीट कर देता था, ताकि उस पर किसी को शक न हो।
मैक्स वायरस की आइडी पर भेजता था पैसे
पब्जी गेम में एडल्ट यूजर्स के नाम पर यूसी (अननॉउन कैश) अकाउंट बनता है, जोकि टीनएजर का नहीं बनता। इसके लिए कंट्रोलर के कहने पर उसने अपने दादा का पेटीएम अकाउंट बनवाया। इस पेटीएम के जरिये उसने मैक्स वायरस आइडी पर पैसे ट्रांसफर किए। बच्चे के पिता ने बताया कि जब पब्जी पर अलग-अलग नाम से आइडी बनाई गई है। जब उन्होंने पैसे ट्रांसफर करवाने वाले नंबर पर फोन किया तो वह लड़का 17 साल का निकला, जो खुद को मुंबई का रहने वाला बता रहा था। लेकिन उसके पिता ने जांच की है कि वह जीरकपुर का रहने वाला है। उन्होंने इस संबंधी एसएसपी मोहाली को मैक्स वायरस आइडी के खिलाफ ठगी मारने की शिकायत दी है। जिनका कहना है कि इसके पीछे कोई बहुत बड़ा गिरोह काम कर रहा है।
पिता के उड़ा दिए 16 लाख
दूसरा मामला खरड़ का है, जहां 17 वर्षीय नाबालिग ने भी ऑनलाइन पढ़ाई के लिए दिए गए फोन पर पब्जी गेम के माध्यम से अपने पिता के खाते में पड़े 16 लाख रुपये उड़ा दिए। परिजनों को बैंक स्टेटमेंट का मैसेज आने पर इस बारे में पता लगा। यह सारी पूंजी उसके पिता ने अपने परिवार के भविष्य व मेडिकल सहूलियत के लिए जोड़ी हुई थी। इस घटना के बाद उसके पिता ने अपने बेटे को स्कूटर रिपेयर का काम सिखाना शुरू कर दिया है।
हमारे पास अभी शिकायत नहीं पहुंची है। शिकायत पहुंचने पर मामले की जांच की जाएगी। मेरी बच्चों से अपील है कि ऐसी घातक गेम को न खेलें और परिजनों को सुझाव है कि वह अपने बच्चों का फोन समय-समय पर चेक करे। फोन को केवल ऑनलाइन क्लॉसेज के दौरान ही दिया जाए।
-कुलदीप सिंह चाहल, एसएसपी, मोहाली।