चंडीगढ़ धरने में शामिल हुए एनएचएम कर्मी

तालमेल कमेटी पैरामेडिकल और सेहत कर्मी पंजाब एनएचएम के तहत काम करने वाले कर्मियों ने चंडीगढ़ में चल रहे संघर्ष में शामिल होकर समर्थन दिया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 18 Nov 2021 08:14 PM (IST) Updated:Thu, 18 Nov 2021 08:14 PM (IST)
चंडीगढ़ धरने में शामिल हुए एनएचएम कर्मी
चंडीगढ़ धरने में शामिल हुए एनएचएम कर्मी

जासं,बठिडा: तालमेल कमेटी पैरामेडिकल और सेहत कर्मी पंजाब एनएचएम के तहत काम करने वाले कर्मियों ने चंडीगढ़ में चल रहे संघर्ष में शामिल होकर समर्थन दिया। पैरामेडिकल संयोजक रविदर लूथरा ने कहा कि पिछले एक दशक से एनएचएम के कार्यकर्ता कम वेतन पर काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें रेगुलर करने के लिए किसी भी मंत्री ने नियमितीकरण की उनकी मांग नहीं सुनी। कुलबीर ढिल्लों ने कहा कि संघर्षरत सेहत कर्मियों के काम को उनके काम का विकल्प नहीं बनाया जाएगा। पैरामेडिकल प्रतिनिधिमंडल ने निदेशक सेहत सेवा (निदेशक) से मुलाकात की और कच्चे कर्मियों को जल्द से जल्द पक्का करने की मांग की। निदेशक ने कर्मियों की समस्याओं का यथाशीघ्र समाधान करने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में गगनदीप सिंह बठिडा, सुखविदर सिंह डोडा मुक्तसर आदि उपस्थित थे। एनएचएम कर्मियों की हड़ताल ने स्वास्थ्य सेवाओं पर लगाई ब्रेक नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के अधीन ठेके पर काम कर रहे मुलाजिमों ने मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया था। हड़ताल के तीसरे दिन वीरवार को एनएचएम इंप्लाइज यूनियन के सदस्यों ने सिविल अस्पताल में धरना दिया। कर्मचारियों ने मांग की कि राजस्थान, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु सरकार की तर्ज पर नियमों में तबदीली कर नई पालिसी बनाकर कर्मचारियों को रेगुलर किया जाए। उधर, प्रदेश भर के एनएचएम कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से केंद्र सरकार की स्वास्थ्य संबंधी तमाम स्कीमों का काम बंद हो गया है। न तो कोई सर्वे हो रहा है और न ही कोई रिपोर्टिंग हो रही है। अस्पताल में मरीज काफी परेशान हो रहे हैं।

वीरवार को हड़ताल के चलते कोविड टीकाकरण और सैंपलिग का काम भी प्रभावित हो गया है। इसके साथ बठिडा सिविल अस्पताल में स्थित लैब में डेंगू टेस्ट भी नहीं हो रहे। वीरवार को डेंगू मरीजों को अपना एलाइजा टेस्ट करवाने में काफी परेशानी झेलनी पड़ी और उन्हें निजी लैब जाना पड़ा। इसके साथ ही जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए जच्चा-बच्चा केन्द्रों पर 100 प्रतिशत काम बंद हो गया है। डोर टू डोर स्कीमों से जागरूकता मुहिम ठप कर दी गई है। आंगनबाड़ी सेंटरों में नौनिहालों का चेकअप नहीं हो रहा। सिविल अस्पतालों में होमियोपैथी और आयुष की ओपीडी बंद है।

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