डबवाली रोड की बढ़ेगी हदबंदी, गांव जोधपुर रोमाणा से नरुआणा को जाते रास्ते तक होगा, निगम ने दी मंजूरी

950 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे बठिडा एम्स ने शहर के विकास की रफ्तार को काफी गति दी है। एम्स जैसा बड़ा मेडिकल संस्थान आने के बाद शहर तेजी से विकसित हो रहा है। छोटे-बड़े उद्योग भी बठिडा में आ रहे है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 10:09 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 10:09 PM (IST)
डबवाली रोड की बढ़ेगी हदबंदी, गांव जोधपुर रोमाणा से नरुआणा को जाते रास्ते तक होगा, निगम ने दी मंजूरी
डबवाली रोड की बढ़ेगी हदबंदी, गांव जोधपुर रोमाणा से नरुआणा को जाते रास्ते तक होगा, निगम ने दी मंजूरी

नितिन सिगला, बठिंडा : 950 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे बठिडा एम्स ने शहर के विकास की रफ्तार को काफी गति दी है। एम्स जैसा बड़ा मेडिकल संस्थान आने के बाद शहर तेजी से विकसित हो रहा है। छोटे-बड़े उद्योग भी बठिडा में आ रहे है। यह शहरवासियों के लिए अच्छी बात है। ऐसे में शहर के बढ़ते दायरे को मद्देनजर नगर निगम बठिडा ने भी डबवाली रोड पर अपनी हदबंदी बढ़ाने की योजना को जरनल हाउस से मंजूर करवा लिया है। ताकि डबवाली रोड भी निगम की सीमा में आने के बाद वहां पर होने वाली डेवलपमेंट के बाद जरनेट होने वाला टैक्स निगम के खाते में जमा हो सके।

निगम को उम्मीद है कि इस रोड पर बनने वाली नई कालोनियां को पास करने के बाद बनती विभिन्न प्रकार की फीसों से करोड़ों रुपये की आमदनी होगी। शहर की मौजूदा हदबंदी के बाद विकसित हो रहे छोटे उद्योग के अलावा कमर्शियल व रिहायशी कालोनियों को भी निगम की हदबंदी में शामिल कर उन्हें सीवरेज-पानी, सड़कें जैसे अहम सुविधाएं दी जाएंगी। निगम का तर्क है कि निगम की मौजूदा हदबंदी के बाहर नए विकसित हो रहे उद्योग को भी वैसे ही निगम सीवरेज-पानी की सुविधाएं मुहैया करवा जा रहा है, जबकि टैक्स अन्य विभाग ले रहे है। ऐसे में निगम उक्त एरिया को अपनी हदबंदी में शामिल करता है, तो निगम टैक्स के रूप में लाखों रुपये की आमदनी होगी। नए डेवलप एरिया को विकसित करने में कोई परेशानी नहीं होगी। शहर की हदबंदी बढ़ाने के लिए बीती 25 नवंबर को हुई जनरल हाउस की मीटिग में इस प्रस्ताव को बिना किसी विरोध के पास कर दिया गया। इसके बाद अब प्रस्ताव को पास करने के स्थानीय निकाय विभाग के पास भेजा गया है, ताकि विभाग की मंजूरी मिलने के बाद लोगों के एतराज लेने की प्रकिया शुरू की जा सके। वहीं हदबंदी बढ़ाने के बाद निगम की आमदनी में बढ़ोतरी होगी। चूंकी निगम को सीवरेज-पानी व प्रापर्टी टैक्स के रूप में हर माह लाखों रुपये की आमदनी होने की उम्मीद है। अगस्त 2021 में बनाई गई थी कमेटी

निगम की व‌र्क्स शाखा ने शहर के डबवाली रोड पर अपनी हदबंदी बढ़ाने की योजना बनाई थी। प्रस्ताव में कहा गया था कि म्यूनिसिपल लिमिट के बाहरी इलाकों में कई बड़े प्रोजेक्ट और कई रिहायशी एरिया विकसित हो रहे हैं। आने वाले समय में इन बाहरी इलाकों मं पानी, सीवरेज, स्ट्रीट लाइट और दूसरे विकास के काम का लोड भी नगर निगम पर पड़ेगा। वहीं इन इलाकों में विकसित होने वाले प्रोजेक्ट पर आने वाली फीस विभिन्न दूसरे संस्थानों के पास जा रहा है। इससे निगम का आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसके लिए म्यूनिसिपल लिमिट के आसपास जिन इलाकों में नई ग्रोथ हो रही है व आने वाले समय में संभावना है। इन इलाकों में अभी से ही म्यूनिसिपल लिमिट के अंदर लिया जाना चाहिए, ताकि इन इलाकों की ग्रोथ हो सके व निगम को आमदन हो सके। अगस्त 2021 को भी इस बाबत प्रस्ताव हाउस में पेश किया गया था, तब हाउस ने इस पूरे प्रोजेक्ट पर एक सब कमेटी का गठन किया था और पूरे प्रोजेक्ट की रिपोर्ट बनकर हाउस को भेजने की बात कहीं थी।

कमेटी ने मौके पर जांच के बाद लिया फैसला

सब कमेटी की मीटिग दो नवंबर 2021 को हुई। इसमें कमेटी के सभी सदस्य शामिल हुए और विचार करने के बाद फैसला लिया गया कि निगम की हदबंदी एम्स बठिडा के साथ लगती डिस्ट्रीब्यूटरी से आगे एम्स अस्पताल की दक्षिणी बाही तक है। जब कमेटी मेंबरों ने मौके पर जाकर जांच की, तो देखा कि निगम की हदबंदी से बाहर खेतों में नई रिहायशी और कामर्शियल कालोनियों बनाने का काम चल रहा है। इन प्रोजेक्ट को पास करवाने के लिए बनती फीस सीएलयू, यूडीसी, ईडीसी आदि करोड़ों रुपये होगी। यह प्रोजेक्ट अब पुडा के अधीन होने के कारण उक्त सभी फीस पुडा में ही जमा होगी, जबकि इन प्रोजेक्ट का पूरा भार निगम की हद में आते शहरी इलाके के इंफ्रास्ट्रक्चर पर पड़ेगा। इसलिए कमेटी ने फैसला लिया कि बेहतर होगा कि एम्स के सामने वाली साइड भी निगम की हदबंदी में शामिल कर लिया जाए। इसके तहत निगम ने अपनी मौजूदा हदबंदी से बढ़ाकर गांव जोधपुर रोमाणा से नरुआणा को जाते रास्ते तक करने की सिफारिश की है।

सर्वे करने व लोगों के एतराज लेने की मंजूरी हाउस से ली गई

निगम के एक्सईएन की तरफ से दी गई रिपोर्ट में बताया कि इस जगह का सर्वे करवाया जाना था, चूंकि फाइल में ना तो लेआउट प्लान है और नहीं कोई विस्तारपूर्वक सर्वे की रिपेार्ट है, जिसे पत लगाया जा सके कि इस एरिया को शामिल करने के साथ निगम को कितना वित्तीय बोझ या फायदा होगा। इसलिए सर्वे करने के अलावा लोगों के एतराज लेने की मंजूरी हाउस से ली गई है।

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