सिविल सर्जन दफ्तर सहित ओपीडी को जड़ा ताला
नान प्रैक्टिसिग अलाउंस (एनपीए) कम किए जाने से खफा सरकारी डाक्टरों ने अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए अब सख्त रवैया अपनाना लिया है।
जासं,बठिडा: नान प्रैक्टिसिग अलाउंस (एनपीए) कम किए जाने से खफा सरकारी डाक्टरों ने अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए अब सख्त रवैया अपनाना लिया है। पंजाब सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन (पीसीएमएसएस) के आह्वान पर सोमवार को जिले के सभी सरकारी डाक्टरों ने सिविल सर्जन दफ्तर, सीनियर मेडिकल आफिसर (एसएमओ), डिप्टी मेडिकल कमिश्नर (डीएमसी) के अलावा ओपीडी ब्लाक तक को ताला लगा दिया और धरने पर बैठ गए। घोषणा की कि यह तालाबंदी तीन दिन तक रहेगी। मांगें पूरी न हुईं तो इमरजेंसी सेवाएं भी बंद कर देंगे। इस दौरान ओपीडी में बैठे मरीजों को बाहर निकाल दिया गया। इस कारण मरीजों की डाक्टरों के साथ तीखी बहस भी हुई। मरीजों ने कहा कि आपकी हड़ताल ठीक है, लेकिन हमारा इलाज भी तो करो। इसके बाद डाक्टरों ने हाथ जोड़कर उन्हें बिना इलाज दिए बाहर भेज दिया।
सोमवार सुबह नौ बजे जिले के तमाम डाक्टरों ने सिविल अस्पताल में एकत्र होकर सिविल सर्जन दफ्तर समेत सेहत विभाग के तमाम दफ्तरों व ओपीडी पर ताला लगा दिया। स्टाफ को भी अंदर नहीं जाने दिया। इस बीच एक सुरक्षाकर्मी ने ओपीडी का ताला खोल दिया, जिसके बाद मरीज व उनके स्वजन ओपीडी के अंदर जाकर बैठ गए। इस पर धरने पर बैठे डाक्टर भड़क उठे और पीएसएमएस के जिला प्रधान डा. जगरूप सिंह की अगुआई में छह डाक्टरों की टीम ओपीडी ब्लाक पहुंची और मरीजों को बाहर निकालना शुरू कर दिया। इस पर मरीज भी भड़क गए। वे बोले कि डाक्टरों के पास सरकारी दफ्तर को बंद करने का क्या अधिकार है। वहीं डाक्टर जगरूप सिंह ने कहा कि मरीजों के दर्द को समझते ही उन्होंने कई दिन फ्री इलाज किया, लेकिन सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही। अब हमारे पास कोई रास्ता नहीं। मरीज बोले, हमें कुछ हो गया तो कौन होगा जिम्मेदार सोमवार को अस्पताल खुलने की उम्मीद में पहुंचे मरीजों व उनके स्वजनों को निराश ही हाथ लगी। इस दौरान लंबी से अपना इलाज करवाने के लिए पहुंचे मरीज मनदीप सिंह ने बताया कि उनकी टांग का आप्रेशन हुआ था। वह अपना चेकअप करवाने के लिए आया, लेकिन डाक्टर ने उसका चेकअप करने से इंकार दिया। उसकी टांग में बहुत ज्यादा दर्द था। इसी तरह गांव महाराज से पहुंचीं मनप्रीत कौर ने कहा कि उसने भी अपना चेकअप करवाना था, , लेकिन डाक्टरों ने हड़ताल होने की बात कहकर उसे ओपीडी से बाहर कर दिया। ऐसे में उनका क्या कसूर है? अगर उन्हें कुछ हो गया, तो उसका कौन जिम्मेदार होगा? बीमार का इलाज करना डाक्टर का पहला फर्ज है।