हड़ताल से 80 फीसद बसों का चक्का जाम, यात्री परेशान
पीआरटीसी व पंजाब रोडवेज के कचे मुलाजिमों ने पक्की नौकरी की मांग को लेकर मंगलवार से हड़ताल शुरू कर दी है।
जागरण संवाददाता, बठिडा: पीआरटीसी व पंजाब रोडवेज के कच्चे मुलाजिमों ने पक्की नौकरी की मांग को लेकर मंगलवार से हड़ताल शुरू कर दी है। हालांकि मुलाजिमों ने हड़ताल की चेतावनी पहले ही दे दी थी, जिसके चलते इसको विफल करवाने के लिए सोमवार रात को ही पुलिस व पीआरटीसी की मैनेजमेंट प्रयास में जुटी हुई थी। इसके तहत यूनियन नेताओं को टेंट तक नहीं लगाने दिया गया, लेकिन इसके बाद भी पुलिस उनको रोक नहीं पाई और वह हड़ताल करने में कामयाब हो गए। इस
दूसरी तरफ हड़ताल के पहले ही दिन बठिडा डिपो से चलने वाली पीआरटीसी की बसों का 80 फीसद संचालन नहीं हो पाया। दोपहर के समय स्कूल-कालेजों में छुट्टी होने के बाद बस स्टैंड पर भीड़ जमा हो गई। लोगों को बस नहीं मिली, जिसके चलते उनको बसों की खिड़कियों में लटक कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। यहां तक कि प्राइवेट बसों की छतों पर भी बैठकर लोग सफर करने के लिए मजबूर हुए। हड़ताल के कारण सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को हुई, जिनको सरकारी बसों में मुफ्त सफर करने के बजाय प्राइवेट बसों में किराया लगाना पड़ा। वहीं हड़ताल के कारण बठिडा डिपो से हर रोज निकलने वाले सरकारी बसों के 400 के करीब टाइम में से 80 टाइम पर ही बसों का संचालन हो पाया। हड़ताल के कारण चंडीगढ़ के लिए सिर्फ तीन रूटों पर ही बसें चल पाईं। वहीं अन्य राज्यों में दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल को जाने वाली बसों का संचालन तो पूरी तरह से बंद रहा।
पंजाब रोडवेज, पनबस व पीआरटीसी के कच्चे मुलाजिमों की ओर से बस स्टैंड के गेट पर पक्का धरना लगाया गया। पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। प्रधान गुरसिकंदर सिंह ने बताया कि मांगों के संबंध में हड़ताल का नोटिस सीएम पंजाब, ट्रांसपोर्ट मंत्री पंजाब, ट्रांसपोर्ट सचिव, पीआरटीसी के एमडी व स्टेट ट्रांसपोर्ट के डायरेक्टर को भी भेजा गया था, लेकिन इसके बाद किसी ने मुलाजिमों की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया। इस कारण अब उनको हड़ताल करने के लिए मजबूर होना पड़ा। हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों की मुख्य मांगें - सरकारी बसों की गिनती कम से कम 10 हजार की जाए
- कच्चे मुलाजिमों को तुरंत पक्का किया
- बराबर काम बराबर वेतन लागू किया जाए
- रिपोर्टों की कंडीशन को रद किया जाए
- कोरोना महामारी के कारण मौत होने पर 50 रुपये लाख रुपये का मुआवजा व परिवार के एक मेंबर को सरकारी नौकरी दी जाए।