जल, फल व स्थल पर एकाधिकार नहीं होना चाहिए: भजराम

बीबीवाला रोड गली नंबर तीन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 09 Apr 2021 10:00 PM (IST) Updated:Fri, 09 Apr 2021 10:00 PM (IST)
जल, फल व स्थल पर एकाधिकार नहीं होना चाहिए: भजराम
जल, फल व स्थल पर एकाधिकार नहीं होना चाहिए: भजराम

संस, बठिडा: बीबीवाला रोड, गली नंबर तीन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन का आयोजन किया गया। इस दौरान भूषण प. भजराम शास्त्री ने व्यासपीठ से कालिया नाग, प्रलंबासुर का वध, गोवर्धन पूजा, महारास लीला, अक्रूर का गोकुल आगमन और कृष्ण बलराम को मथुरा ले जाना,कृष्ण बलराम का मथुरा गमन, कंस वध, वासुदेव देवकी महाराज अग्रसेन को पुनमहाराज बनाना, जरासंध युद्ध, राक्षस कालयमन द्वारा कृष्ण को रणछोड़ का नाम देना, द्वारका नगरी बसाना तथा रुक्मणी विवाह इत्यादि अनेकों प्रसंगो की बहुत ही सुंदर व्याख्या की।

गोवर्धन पूजा प्रसंग की व्याख्या करते हुए स्वामी ने बताया कि कार्तिक माह में सभी ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए हर वर्ष की तरह इस बार भी उसका पूजन करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण द्वारा उनको भगवान इंद्र की पूजा करने के बजाय गोमाता व गोवर्धन महाराज की पूजा करने की बात कहते हैं। भगवान कृष्ण ने कहा की पूजा कर्म की होनी चाहिए, नाम की नहीं। इंद्र भगवान कन्हैया की इन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से मूसलाधार वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगरवासियों को पर्वत को नीचे बुला लेते हैं। इंद्र द्वारा लगातार सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहने के बाद उन्हे एहसास हुआ कि उनका मुकाबला करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता। इंद्र का अभिमान चूर करने हेतु ही भगवान श्री कृष्ण ने यह लीला रची थी। तब देवराज इंद्र ने अपनी भूल स्वीकार की और मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया। इस घटना के बाद से ही गोवर्घन पूजा की जाने लगी। भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का साधन गो सेवा है, श्रीकृष्ण ने गाय को अपना आराध्य मानते हुए पूजा एवं सेवा की। कंस वध की कथा सुनते हुए स्वामी जी ने कहा कि कंस ने कृष्ण व बलराम को मथुरा में उत्सव में बुलाया। तब कृष्ण व बलराम ने रंग महल में जाकर चारण पहलवानों से युद्ध करके उनका वध किया। इस दौरान यजमान गोयल, मुकंद लाल, जनक राज, भागीरथ लाल, बृष भान, वरुण गोयल, अरुण गोयल मोना, संतोष रानी, सरोज गोयल, गीता गोयल, निशा गोयल, निधि गोयल, प्रियंका गोयल व पुष्पा देवी के हाथों भागवत पूजन करवाया करवाया व सामूहिक महाआरती की।

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