घोटालों का दफ्तर, बिना रिश्वत नहीं होता काम

आरटीए दफ्तर में न सिर्फ एजेंटों का बोलबाला है बल्कि दफ्तर में हुए घोटालों को भी आज तक हल नहीं किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 05:08 AM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 05:08 AM (IST)
घोटालों का दफ्तर, बिना रिश्वत नहीं होता काम
घोटालों का दफ्तर, बिना रिश्वत नहीं होता काम

जागरण संवाददाता, बठिडा: आरटीए दफ्तर में न सिर्फ एजेंटों का बोलबाला है, बल्कि दफ्तर में हुए घोटालों को भी आज तक हल नहीं किया गया। नतीजा आरटीए दफ्तर में अब एजेंटों के हौंसले इतने ज्यादा बुलंद हो गए हैं कि वह खुद मुलाजिम के कमरे में जाते हैं और कागजों पर मोहरें लगाकर आ जाते हैं। यहां तक कि दफ्तर में कई बार विजिलेंस की रेड भी पड़ चुकी है, लेकिन इसके बाद भी यहां पर कोई समाधान नहीं हुआ।

अगर तीन वर्ष पहले की बात करें तो गांव नरुआना स्थित आटोमेटेड ड्राइविग टेस्ट ट्रैक पर वाहनों की पासिग के लिए रिश्वत वसूलने व बिना टेस्ट के वाहनों की पासिग देने के मामले में जमकर हंगामा हुआ था। पिछले लंबे समय से टेस्ट ट्रैक के बाहर दलालों का कब्जा है, जो आरटीए दफ्तर के कर्मचारियों के साथ मिलकर गोरखधंधे को अंजाम देते हैं। इस समय मामला इतना बढ़ गया था कि टेस्ट ट्रैक के बाहर बैठे दुकानदारों के बीच पासिग वाले कमरे में ही जमकर लात घूंसे चले। यहां तक कि दफ्तर में पड़े कम्प्यूटर के की-बोर्ड का भी झगड़े में इस्तेमाल किया गया। इसके बाद मामला बढ़ता देख दफ्तर के स्टाफ ने किसी तरह कमरे को ताला लगाकर सभी को बाहर भेजा। मगर इसके बाद भी यहां पर कोई एक्शन लेने की बजाए, सिस्टम एजेंटों के माध्यम से ही चल रहा है। पासिग के नाम पर वसूले जाते हैं पैसे

नियमों के अनुसार दो बार पूरी तरह से इंस्पेक्शन होने के बाद पासिग होती है। इसके तहत नए वाहन को दो साल तो पुराने वाहन को एक साल के लिए पासिग दी जाती है। इसके लिए अलग-अलग वाहन की फीस तय की गई है, लेकिन यहां पर काम करवाने के लिए आए लोगों से पासिग के नाम पर दो से तीन हजार रुपये तक की वसूली की जा रही है। इससे पहले 15 दिसंबर 2011 को भी बठिडा के एंटी नारकोटिक्स सेल की ओर से धरे गए चोर गिरोह के दो सदस्यों से पुलिस ने 13 गाड़ियां बरामद कर जांच शुरू की तो गिरोह के सदस्यों ने माना कि जाली आरसी बनाने में डीटीओ दफ्तर के कई दलाल व कर्मचारी शामिल थे। इसके बाद 2011 में अमृतपाल सिंह नामक एक व्यक्त को गिरफ्तार किया गया, जो बाद में फिर से जाली आरसी बनाने का काम करने लगा तो पुलिस ने उसे 2016 में फिर से गिरफ्तार कर लिया। विजिलेंस जांच पर भी नहीं हुई कार्रवाई

विजिलेंस विभाग की तरफ से ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पंजाब को 19 मई 2016 को एक गुप्त रिपोर्ट भेजी गई थी। इसमें एक व्यक्ति की शिकायत के बाद करवाई जांच का विवरण दिया था। जिला ट्रांसपोर्ट विभाग को इसमें बनती कार्रवाई करने के साथ विजिलेंस विभाग बठिडा को आरोपी लोगों के खिलाफ केस दायर करने की सिफारिश भी की गई थी। इसमें एडीसी बठिडा ने 24 जून 2016 को जांच शुरू की थी। इसी मामले में फिर से अगस्त 2017 में जांच शुरू की गई, लेकिन इसमें आरोपितों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। रिकार्ड में भी दर्ज है गोरखधंधा

विजिलेंस ब्यूरो के संयुक्त डायरेक्टर एडमिन की तरफ से रिकार्ड नंबर 21327 दिनांक 17 मई 2016 में कहा गया था कि जिला ट्रांसपोर्ट अफसर बठिडा के अधिकारी कर्मचारी दफ्तर मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के कर्मचारियों ने डीटीओ दफ्तर में प्राइवेट दलालों का जाल बिछा रखा है। एक गाड़ी के पीछे 20 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक की चपत सरकारी खजाने को लगाई जा रही है। एक थ्रीव्हीलर बजाज नंबर पीबी-3-एजे-1511 दिनांक 9 मई 2014 को खरीदा गया था जिसके पासिग आर्डर 12 जनवरी 2015 को जारी हुए थे। इस तरह से यह गाड़ी आठ माह लेट पास करवाई गई। मिलीभगत से पासिग फीस 50 रुपये लगाई गई है, जबकि नियम अनुसार फीस एक हजार रुपये से अधिक बनती है।

आठ साल पहले गायब हुआ था 9321 वाहनों का रिकार्ड

आठ साल पहले डीटीओ आफिस में बड़ा घोटाला सामने आया था। जब यहां से 9321 वाहनों का रजिस्ट्रेशन रिकार्ड गायब कर दिया गया। गायब किए गए रिकार्ड में गड़बड़ी कर लोगों को वाहनों की फर्जी आरसी तक जारी कर दी गई थी। इसमें पूर्व डीटीओ बीएम सिंह, एसओ रमन कुमार, एजेंट गगनतेशवर सहित पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था, जबकि जिन नंबरों का रिकार्ड गायब हुआ था, वह बाद में भी वाहनों पर लगते रहे, लेकिन अब इन नंबरों को रद्द कर दिया गया है। कई-कई वाहनों पर लगे हैं एक ही नंबर

पंजाब सरकार ने अब वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर लगाना अनिवार्य कर दिया है। जब पुराने वाहन चालकों ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने के लिए अप्लाई किया तो नए-नए कारनामे सामने आने लगे। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि जिनकी आरसी कापी वाली बनी हुई थी, उन वाहनों के नंबर कई-कई वाहनों पर चल रहे हैं। बठिडा के गुरु तेग बहादुर नगर के नवदीप कुमार ने जब अपनी स्कूटी पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने के लिए अप्लाई किया तो उसको पता लगा कि उसकी स्कूटी का नंबर संगरूर में किसी कैंटर पर लगा हुआ है। इसके बाद रिकार्ड जांचा तो वही नंबर एक स्कूटर पर भी बठिडा में लगा हुआ मिला। उसने कई बार विभाग को चिट्ठियां भी लिखी, मगर आज तक हल नहीं हुआ।

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