अज्ञान का अंधेरा खतरनाक है : साध्वी सुनीता

जैन स्थानक में विराजमान साध्वी डा. सुनीता महाराज ने कहा साधु व संत अज्ञान के अंधेरे में जलते दीपक की तरह ज्ञान का प्रकाश देते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 06:43 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 06:43 PM (IST)
अज्ञान का अंधेरा खतरनाक है : साध्वी सुनीता
अज्ञान का अंधेरा खतरनाक है : साध्वी सुनीता

जासं, मौड़ मंडी : जैन स्थानक में विराजमान साध्वी डा. सुनीता महाराज ने कहा साधु व संत अज्ञान के अंधेरे में जलते दीपक की तरह ज्ञान का प्रकाश देते हैं। यही ज्ञान भ्रामकता, भय व भूल से मुक्ति दिलाकर हमें मोक्ष का मार्ग दिखाता है। अज्ञान का अंधेरा खतरनाक है। पूर्णिमा के चांद को सारे लोग देखते हैं, आनंद लेते हैं जबकि अमावस्या को कोई नहीं देखता। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। साध्वी ने कहा कि चंद्रमा और सूर्य कुंडली के राजा हैं। इनके बिना जीवन चल नहीं सकता। सूर्य परमात्मा है और चंद्रमा गुरु जबकि संत आत्मा हैं। परिस्थितियां परिवर्तनशील, शरीर परिवर्तनशील और जगत भी परिवर्तनशील है। इस परिवर्तन को देख कर परेशान न हों। चंद्रमा कहता है बहुत बड़े बनने की आकांक्षा करने वाला छोटा बनता है। पूर्णिमा के बाद चंद्रमा घटने लगता है। चंद्रमा चांदी की थाली की तरह आकाश में चमकता है। धीरे धीरे लोप हो जाता है। कर्माश्रित धन वैभव भी चंद्रमा के समान है। वसंत के बाद पतझड़ और दिन के बाद रात भी आती है। सूर्य का प्रकाश है तो रात का अंधेरा भी है। बचपन द्वितीया के चांद के समान है और बुढ़ापा अमावस्या की रात के समान। द्वितीया का चांद सबको प्रिय होता है। इसके साथ तारामंडल का परिवार भी बढ़ता जाता है। घर भरापूरा है। तिजोरी में धन हो तो सब सम्मान करते हैं। चौथ का चांद स्त्री के सुहाग का प्रतीक है। रंग लाल है पर चंद्रमा शांत है। चंद्रमा कहता है किसी के लिए जहर मत बनो औषधि बनो। चंद्रमा से प्रेरणा लो और जीवन सुधारो। साध्वी शुभिता ने कहा कि मनुष्य को सरस्वती का सम्मान करते हुए ज्ञान पुस्तक, ग्रंथ, कापी, अखबार नहीं जलाना चाहिए। इससे ज्ञान का अपमान होता है जिसका फल हमें भुगतना ही पड़ता है। प्रवचनकार जलता हुए दीपक होता है। वह मनुष्यों को अपने ज्ञान के प्रकाश से अज्ञानता के अंधेरे से दूर का सद्मार्ग की ओर ले जाता है। अंधकार वहां है जहां आदित्य नहीं है। ज्ञान को जीवन में आत्मसात करने वाले मनुष्य हमेशा महान होते हैं। ज्ञान से भगवान की वाणी मिलती है जिससे हर कार्य सरल हो जाता है। सभी को गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिए। ज्ञान के प्रति अभिमान व्यक्ति के विनाश का कारण बनता है। राग, द्वेष, क्रोध को त्यागे बिना अज्ञान का अंधेरा दूर नहीं हो पाता है।

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