नारी घर की आधारशिला, उसका सम्मान करें : साध्वी शुभिता
व्यक्ति कभी जाति कुल शरीर से बड़ा नहीं होता बल्कि अपने सद्गुणों से बड़ा होता है। यदि किसी में अपने बड़े होने का अहंकार है तो निश्चित ही यह अहंकार उसे पतन की ओर ही ले जाता है।
संवाद सूत्र, मौड़ मंडी : व्यक्ति कभी जाति, कुल, शरीर से बड़ा नहीं होता, बल्कि अपने सद्गुणों से बड़ा होता है। यदि किसी में अपने बड़े होने का अहंकार है, तो निश्चित ही यह अहंकार उसे पतन की ओर ही ले जाता है। संसार में मान को महाविष कहा, जो हमें नीच गति में ले जाने का कारण बनता है। सम्मान चाहने से कभी सम्मान प्राप्त नहीं होता, बल्कि दूसरों को सम्मान देने से स्वयं सम्मान प्राप्त हो जाता है। आपके द्वारा किए गए किसी अच्छे कार्य की यदि प्रशंसा नहीं हो रही है, तो इसे मात्र अपने कर्मों का उदय मानना चाहिए और अच्छे कार्यों को सदा अपना कर्तव्य समझ कर करते चले जाना चाहिय। विपरितता में भी शांति बनाए रखना और अपने मान को मार देना ही विनय है। उक्त प्रवचन स्थानीय जैन स्थानक में साध्वी शुभिता जी महाराज ने विशाल धर्म सभा को संबोधित करते हुए दिए। उन्होंने कहा कि ज्ञानी व्यक्ति का जीवन हमेशा सादगीमय होता है। वह कभी अपने ज्ञान का अहंकार नहीं करता। यदि ज्ञानी ने ज्ञान का अहंकार किया तो वह ज्ञानी कैसा, किसी की बात सुनकर धर्म को छोड़ देना बहुत बड़ा अहंकार है। विनय शील व्यक्ति कभी अच्छे कार्य और धर्म को नहीं छोड़ता। जिव्हा मृदु होती है, इसी कारण वह जन्म से होती है और मृत्यु तक साथ होती है। जबकि दांत कठोर होते हैं, जो बाद में आते हैं और पहले चले जाते हैं।
वर्तमान में कोई भी इंसान अपना अपमान सहन नहीं कर सकता, धूल भी अपमान सहन नहीं कर पाती। तभी तो धूल को लात मारो तो वह सिर पर चढ़ जाती है। आगे उन्होंने कहा कि-नारी घर की आधारशिला होती है, अत: कभी नारी का अनादर नहीं करना चाहिए। कोई भी कार्य करने से पहले बड़ों की राय अवश्य लेना चाहिए। भावुकता में कोई कार्य नहीं करना चाहिए। और शुभ कार्य करने में कभी नहीं सोचना चाहिए। जीवन में उन्नति प्राप्त करने के लिए इन शिक्षाओं को अपने जीवन में अवश्य उतारना चाहिए।