ढाई साल की रहमत को मौत के मुंह से छीन लाई मां की ममता
अपनी औलाद के लिए मां कुछ भी कर गुजरती है।
गुरप्रेम लहरी बठिडा
अपनी औलाद के लिए मां कुछ भी कर गुजरती है। ऐसी दुनिया में कितनी ही मिसालें हैं, जिसमें एक मां अपने बच्चों को मौत के मुंह खींच लाई। मां के सीने से लगकर बच्चा जल्दी ठीक हो जाता है, यह डाक्टर भी प्रमाणित करते हैं। ऐसी ही मिसाल पेश की है मुक्तसर जिले के गांव कोटभाई की सुखप्रीत कौर ने। कोरोना काल में जहां पाजिटिव मरीज के पास जाने से भी सभी डरते हैं, वहीं नन्ही बेटी रहमत के कोरोना पाजिटिव होने पर सुखप्रीत कौर उसे सीने से लगाकर उसके साथ आइसीयू में बैठी रहीं। इसी का नतीजा था, कि रहमत को बहुत जल्द वह मौते के मुंह से छीन लाई।
कोटभाई गांव के बलजीत सिंह की ढाई बर्षीय बेटी रहमत को जुकाम हो गया। फिर बुखार हुआ जो उतर ही नहीं रहा था। ऐसे में पिता बलजीत सिंह और मां सुखप्रीत कौर बेटी रहमत को लेकर बठिडा के माहेश्वरी अस्पताल में पहुंचे। डा. राबिन महेश्वरी ने बच्चे की जांच की और कोरोना टेस्ट किया। बच्ची कोरोना पाजिटिव निकली। माता-पिता दोनों घबरा गए। मां की आंखों में आंसू थे, लेकिन बच्ची का हौसला बनाए रखने के लिए उसके सामने मुस्कराहट लेकर खड़ी रहीं। हालांकि डा. राबिन माहेश्वरी ने उनको समझाया कि चिता की कोई बात नहीं, लेकिन मां का दिल तो बच्ची में ही धड़क रहा था। बच्ची आइसीयू में थी। बाहर मां की मानों सांसें ही न चल रही हों। कोविड मरीज के साथ आइसीयू में किसी को ठहरने की इजाजत नहीं थी, लेकिन मां ने जिद की कि वह ही बच्ची की देखभाल करेगी। मां की ममता के आगे डाक्टरों की भी नहीं चली। शोध में भी यह स्पष्ट हो चुका है कि मां की देखभाल से बच्चे जल्दी ठीक हो जाते हैं। ऐसे में उसे मंजूरी दे दी गई। इसके बाद अपनी परवाह किए बगैर सुखप्रीत कौर आइसीयू में अपनी नन्ही बेटी को सीने से लगाकर बैठी रही। उसकी देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस दौरान डाक्टरों की ओर से दी जाने वाली हर गाइडलाइन का पालन किया। दो दिन बाद ही रहमत की सेहत में काफी सुधार हुआ और उसे आइसीयू से वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया और दो दिन बाद अस्पताल छुट्टी दे दी गई। डाक्टर भी बच्ची की इतनी जल्दी रिकवरी से हैरान थे।