श्री चैतन्य गौड़ीय मठ में मनाई श्री राधाष्टमी

श्री चैतन्य गौड़ीय मठ में श्रीराधा-रानी जी का प्रकट महोत्सव मनाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 10:18 PM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 10:18 PM (IST)
श्री चैतन्य गौड़ीय मठ में मनाई श्री राधाष्टमी
श्री चैतन्य गौड़ीय मठ में मनाई श्री राधाष्टमी

संस, बठिडा: श्री चैतन्य गौड़ीय मठ में श्रीराधा-रानी जी का प्रकट महोत्सव मनाया गया। भक्तों ने श्री हरिनाम संकीर्तन एवं राधरानी के अभिषेक के दर्शन किए।

सुबह से शाम तक चले कार्यक्रम श्री हरिनाम संकीर्तन व श्री हरिकथा हुई। दोपहर को राधारानी का पंचामृत (दूध, दही, चीनी, शहद, जल, घी, अन्य चीजों के साथ) अभिषेक कराया गया। अलौकिक श्रृंगार करके छप्पन भोग लगाया गया। मठ सदस्य शाम सुंदर ने बताया कि जगत जननी राधारानी को भगवान श्री कृष्ण की आह्लादिनी शक्ति माना गया है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को ही श्रीराधा का प्राकट्य हुआ। भगवान श्रीकृष्ण की आराधिका शक्ति राधा ही हैं। इनके बिना कृष्ण अधूरे हैं। पदम पुराण में बताया गया है कि 1000 एकादशी व्रत रखने का जो फल मिलता है उससे 100 गुना ज्यादा फल राधाष्टमी का व्रत रखने पर मिलता है। आत्मा का परमात्मा से मिलन कराती है श्रीमद् भागवत कथा: अनिरुद्धाचार्य श्री बांके बिहारी सेवा समिति की ओर से प्रधान संजीव सिगला की अगुआई में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन शिरोमणि अकाली दल के पूर्व विधायक सरूप चंद सिगला मुख्य मेहमान के तौर पहुंचे। कार्यक्रम के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने के लिए पहुंचे।

इस मौके पर कथा करते हुए अनिरुद्धाचार्य महाराज वृंदावन वाले ने श्री कृष्ण की ओर से राजा परीक्षित को दिए श्राप और फिर मुक्ति के लिए उनके भाई सुखदेव से मिलन की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाता है। सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित से कहा कि हे परीक्षित, सब को सात दिन में ही मरना है। इस सृष्टि में आठवां दिन तो अलग से बना नहीं है। संसार में जितने भी प्राणी हैं वे सभी परीक्षित हैं। सब की मृत्यु एक न एक दिन तो होनी है और जो मनुष्य एक बार श्रीमद् भागवत की कथा श्रवण कर ले और उसे सुनकर जीवन में उतार ले तो उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। उसे भगवान की प्राप्ति हो जाती है। ज्ञान के बिना जीवन में अंधेरा है और आचरण के बिना जीवन की पवित्रता नहीं है। चेतना के विकास के लिए ज्ञान के साथ अच्छा आचरण होना जरूरी है।

कथा के अंत में प्रधान संजीव सिगला ने बताया कि भागवत कथा 18 सितंबर तक चलेगी। इसके अंतिम दिन भोग डाला जाएगा। इस दौरान राकेश जिदल, विपिन जिदल, राजीव सिगला, रशपाल गोयल, भूषण गोयल, ईश्वर दयाल, सतपाल गोयल, रविद्र कुमार, योगेश, पंकज गोयल, राकेश बांसल, सोनू गर्ग, अर्जित गोयल व मोहित गोयल भी शामिल थे।

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