निकाय चुनाव खत्म होते ही क्यूआर कोड भी हुए खत्म
चुनावों के समय में सियासी फायदा लेने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ती।
साहिल गर्ग, बठिडा
चुनावों के समय में सियासी फायदा लेने के लिए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ती। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आटा-दाल कार्ड बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले क्यूआर कोड फूड सप्लाई विभाग के पास खत्म हो गए हैं, जबकि जिले में स्थानिय निकाय चुनावों के दौरान सभी छह विधानसभा हलकों में 12 हजार नए बना दिए गए थे। अब चुनाव खत्म होते ही लोगों को दफ्तरों से निराश लौटाया जा रहा है।
जिले में इस समय 2 लाख के करीब आटा-दाल कार्ड बने हुए हैं, जबकि सरकार की गाइडलाइन के अनुसार सिर्फ उन्हीं लोगों का आटा-दाल कार्ड बनेगा, जिनके फार्म पर क्यूआर कोड लगा होगा। इससे पहले लोग अपने फार्म को भरकर दफ्तर में जमा करवा देते थे, जिसके बाद सारी कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद लोगों के कार्ड बनाकर सिस्टम में अपडेट कर दिया जाते थे। अब सारा प्रोसेस बदल गया है। बिना क्यूआर कोड लगे फार्म आगे ही नहीं जाता। दूसरी तरफ यह भी आरोप लगते रहे कि क्यूआर कोड सिर्फ कांग्रेस के दफ्तर में ही मिलते हैं, जबकि इनको सरकारी दफ्तर में होना चाहिए। छह महीने में बठिडा व गोनियाना में बने सबसे ज्यादा कार्ड
जिले में बीते छह महीने के दौरान 40 हजार के करीब नए आटा दाल-कार्ड बनाए गए हैं। 2017 में सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने सबसे पहले आटा-दाल के कार्डों की जांच करवाई। इसके बाद जिले में चल रहे 2.27 लाख कार्डों में से 65 हजार कार्डों को काट दिया गया। इसमें सबसे ज्यादा गिनती में बठिडा शहर के 22 हजार कार्ड काटे गए थे। मगर जब लोगों ने इसका विरोध किया तो फिर से नए कार्ड बनाए जाने लगे। वहीं अब बीते छह महीनों के दौरान बने 40 हजार के करीब नए कार्डों में से 12 हजार कार्ड तो अकेले बठिडा शहर के बनाए गए हैं। वहीं गोनियाना ब्लाक में भी 12 हजार के करीब ही कार्ड बनाए गए हैं। इसके अलावा बाकी सभी जगहों पर 18 हजार के करीब कार्ड बनाए गए। क्यूआर कोड आने के बाद ही बनेंगे कार्ड : डीएफएससी
नए आटा-दाल के कार्ड बनाने का काम फिल्हाल बंद है। अभी विभाग के पास क्यूआर कोड नहीं हैं। इनको सरकार द्वारा भेजा जाता है। जैसे ही क्यूआर कोड आएंगे, लोगों के आटा-दाल के कार्ड बनाने शुरू कर दिए जाएंगे। सभी लोगों को दफ्तर से ही फार्म पर कोड लगाकर दिया जाता है।
- जसप्रीत सिंह काहलों, डीएफएससी, बठिडा