श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को सुनकर भावविभोर हुए भक्त

पंचवटी नगर में बठिडा के समूह परिवार की ओर से जारी श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ कथा में पांचवें दिन परमपूज्य स्वामी आचार्य रमेशानंद महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मनोरम वर्णन किया जिसे सुनकर उपस्थित श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 03:33 PM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 03:33 PM (IST)
श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को सुनकर भावविभोर हुए भक्त
श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को सुनकर भावविभोर हुए भक्त

संस, बठिडा

पंचवटी नगर में बठिडा के समूह परिवार की ओर से जारी श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ कथा में पांचवें दिन परमपूज्य स्वामी आचार्य रमेशानंद महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मनोरम वर्णन किया जिसे सुनकर उपस्थित श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए।

व्यासपीठ से स्वामी जी महाराज ने राक्षसी पूतना द्वारा बालक कृष्ण को जहर लगे स्तनों से दूध पिलाकर मारने का प्रयास और श्रीकृष्ण द्वारा पूतना का वध करने की रोचक कथा सुनाते हुआ कहा कि राक्षसी की श्रीकृष्ण को दूध पिलाने की भावना उसे मारने की थी, परंतु देखो प्रभु कितने दयालु हैं कि मारने आने वाली पूतना को भी सद्गति प्रदान कर दी। उन्होंने कहा कि माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को रस्सी में बांधने के लिए कई बार प्रयास किया, लेकिन हर बार रस्सी दो अंगुल छोटी पड़ जाती थी, लेकिन जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को प्रेम से बांधने के लिए कहा तो वे एक धागे से ही बंधे रहे। भगवान और भक्त का संबंध भाव का होता है।

स्वामी जी ने कालिया नाग, शकटासुर वध, बकासुर वध, मिटी खाकर अपने मुख में माता यशोदा को ब्रह्माण्ड के दर्शन करवाना व गोपियों के घरों में माखन चोरी इत्यादि प्रसंगो से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। बालकृष्ण द्वारा अपनी एक उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा कर, सभी बृजवासियों को अपने गाय और बछड़े समेत मूसलाधार वर्षा से बचाकर देवराज इंद्र के अभिमान को चकनाचूर करने के वृतांत को सुनकर सभी भक्तजन खूब रोमांचित हुए।

अंत में स्वामी जी ने भगवान कृष्ण के नामकरण के बारे में बताते हुए कहा कि गर्गाचार्य जी ने भगवान का नाम कृष्ण रखा। इस नाम का मतलब समझाते हुए उन्होंने बताया कि कृष्ण शब्द के तीन अर्थ होते हैं, पहला वर्णवाची यानि कृष्ण माने काला। दूसरा धातु की ²ष्टि से कृष्ण का अर्थ है जोतने बाला, जैसे किसान खेत जोतता है फिर बीज बोता है। इसलिए कृष्ण का जो नाम लेता है तो यह नाम उसके हृदय को जोत कर वासना रूपी घासफूस को उखाड़ कर भक्ति का बीज बो देता है। कृष्ण का तीसरा अर्थ है आकर्षाती, यानि जो सबको आकर्षित करे और अपनी ओर खींचे। भगवान कृष्ण सबके मन को अपनी ओर खींच लेते हैं।

कथा के अंत में पंचवटी नगर बठिडा के समूह परिवारों ने मिलकर भगवान को छप्पन भोग लगाया और गोवर्धन पूजा व सामूहिक महाआरती की। अंत में सभी भक्तों को छप्पन भोग दिया गया।

chat bot
आपका साथी