कानूनी राय लेने के बाद कांट्रैक्ट पर तैनात लैब टेक्नीशियन भी नामजद

बठिडा के सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक से तीन अक्टूबर को थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों व एक महिला को बिना जांच एचआइवी संक्रमित रक्त लगाने के मामले में बठिडा पुलिस ने एक ओर आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 06:24 PM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 08:55 AM (IST)
कानूनी राय लेने के बाद कांट्रैक्ट पर तैनात लैब टेक्नीशियन भी नामजद
कानूनी राय लेने के बाद कांट्रैक्ट पर तैनात लैब टेक्नीशियन भी नामजद

जासं, बठिडा

बठिडा के सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक से तीन अक्टूबर को थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों व एक महिला को बिना जांच एचआइवी संक्रमित रक्त लगाने के मामले में बठिडा पुलिस ने एक ओर आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने पहले दर्ज हुए मामले में दूसरे आरोपित रिचा गोयल को नामजद कर लिया है। बताया जा रहा है कि पुलिस प्रशासन ने डीए लीगल से राय लेने के बाद मामले में आरोपित कांट्रेक्ट पर काम करने वाली लैब टेक्नीशियन (एलटी) युवती पर यह कार्रवाई की है। फिलहाल जिसे मामले में नामजद किया गया है, उसकी गिरफ्तारी होनी बाकी है।

मामले में तीसरी आरोपित उस समय की ब्लड बैंक इंचार्ज महिला डाक्टर पर अभी कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है, जबकि सेहत विभाग उसे नौकरी से बर्खास्त कर चुका है। ऐसे में सबसे पहले एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में अब तक दो आरोपितों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकी है। इसमें सेहत विभाग का मेडिकल लैब तकनीशियन बलदेव सिंह रोमाणा पर पहले ही केस दर्ज कर उसे जेल भेजा जा चुका है, जबकि बाकी दो आरोपित ब्लड बैंक इंचार्ज डा. करिश्मा व लैब तकनीशियन रिचा गोयल नेशनल हेल्थ मिशन अधीन काम करती है, जिनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए एनएचएम के सचिव द्वारा पत्र लिखा जाना था, लेकिन पुलिस प्रशासन को कोई पत्र नहीं मिलने के कारण उनके खिलाफ केस दर्ज नहीं किया। मामले की जांच कमेटी ने तीन लोगों को आरोपित ठहराया था और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की सिफारिश की थी।

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पुलिस अधिकारियों ने दर्ज करवाए बयान इसी मामले में मंगलवार को पंजाब राज्य बाल अधिकार रक्षा आयोग ने बठिडा पुलिस के अधिकारियों को तलब किया था। इसमें थाना कोतवाली के प्रभारी व इंस्पेक्टर दविदर सिंह व सिविल अस्पताल पुलिस चौकी इंचार्ज एसआइ रमनदीप कौर ने आयोग के समक्ष अपने बयान दर्ज करवाए। इसमें आयोग ने जिला पुलिस से पूछा कि उन्होंने अक्टूबर में 8 साल के बच्चे व महिला का संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में विभाग की तरफ से आरोपित बनाए गए तीन लोगों में से दो के खिलाफ आज तक किसी तरह की कार्रवाई क्यों नहीं की। वहीं सिविल अस्पताल में पूर्व बीटीओ बलदेव सिंह रोमाणा की तरफ से जांच के दौरान 600 किटों को बाहर से मंगवाकर स्टाक में रखने के मामले में आज तक जांच का दायरा क्यों नहीं बढ़ाया गया। तमाम सवालों के जवाब में पुलिस ने तर्क दिया कि सिविल अस्पताल में अब तक चार थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों व एक महिला को संक्रमित रक्त चढ़ाने का मामला सामने आया है। इसमें सिविल सर्जन व एसएमओ की तरफ से जिन मामलों में कार्रवाई रिपोर्ट पुलिस के पास पेश की गई व जिन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए कहा गया, उसमें पुलिस ने एफआइआर दर्ज की है। ब्लड बैंक में तैनात बलदेव सिंह रोमाणा के अलावा अन्य दो अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई करने की रिपोर्ट सिविल अस्पताल प्रबंध नहीं दी थी। वहीं पुलिस सिविल अस्पताल प्रबंधन ने दोनों मामलों की जांच रिपोर्ट मांगेगी व इसमें जांच कर बनती कार्रवाई की जाएगी।

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20 दिनों में देनी थी मामले की विस्तृत रिपोर्ट

बताते दें कि 26 नवंबर 2020 को पंजाब राज्य बाल अधिकार रक्षा आयोग के चेयरमैन रजिदर सिंह ने अपनी पड़तालिया रिपोर्ट में सिविल अस्पताल के अधिकारियों व ब्लड बैंक में तैनात कर्मियों की लापरवाही को उजागर किया था। मामले की विस्तृत रिपोर्ट 20 दिनों में देने के लिए कहा था। इसमें आयोग के समक्ष सिविल अस्पताल प्रबंधन ने 17 दिसंबर तक दोनों पक्षों में रिपोर्ट तैयार करने के साथ इसमें आरोपित लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी है।

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डीए लीगल से राय लेने के बाद एक और आरोपित को नामजद किया है। दूसरे आरोपित का रिकार्ड डीए लीगल को उपलब्ध करवाया जा रहा है, जिसके आधार पर अगली कार्रवाई की जाएगी। -भूपिदरजीत सिंह विर्क, एसएसपी

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