मुख्यमंत्री के पैतृक गांव में दम तोड़ रही स्वास्थ्य सुविधाएं

मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह के पैतृक गांव महराज में स्वास्थ्य सुविधाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jan 2019 08:30 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jan 2019 08:30 PM (IST)
मुख्यमंत्री के पैतृक गांव में दम तोड़ रही स्वास्थ्य सुविधाएं
मुख्यमंत्री के पैतृक गांव में दम तोड़ रही स्वास्थ्य सुविधाएं

जीवन ¨जदल, रामपुरा फूल : मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह के पैतृक गांव महराज में स्वास्थ्य सुविधाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं। स्वास्थ्य विभाग तथा प्रशासन की अनदेखी के चलते डेढ़ दशक पहले बनाया गया बाबा आला ¨सह मेमोरियल अस्पताल वर्तमान समय में स्टाफ की कमी का सामना कर रहा है। गांव महराज के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाने के उदेश्य से मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह द्वारा 17 दिसम्बर 2003 को गांव में बाबा आला ¨सह मेमोरियल अस्पताल का शिलान्यास रखा गया था। करीब 30 बेड वाला यह दो मंजिला अस्पताल दो वर्ष में बनकर तैयार हुआ। अस्पताल का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद 5 दिसम्बर 2005 को खुद मुख्यमंत्री कैप्टन अम¨रदर ¨सह ने इसका उद्घाटन किया। उद्घाटन के बाद कुछ समय तक तो अस्पताल में आने वाले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाई गईं। किन्तु वर्ष 2007 में राज्य में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद बनी शिअद-भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा इस अस्पताल की तरफ विशेष ध्यान ना दिए जाने से अस्पताल अपना अस्तित्व खोने लगा। वर्तमान समय में अस्पताल में उपचार हेतु आने वाले मरीजों को ओपीडी तथा आपातकालीन सुविधाएं देने के लिए एक ही डाक्टर तैनात है। जबकि एक अन्य महिला डाक्टर सप्ताह में चार दिन सिविल अस्पताल रामपुरा तथा दो दिन महराज में अपनी सेवाएं प्रदान करती है। इसके अलावा इस अस्पताल में 6 स्टाफ नर्सों की जरूरत होने के बावजूद महज दो ही स्टाफ नर्स तैनात हैं। अस्पताल में एक फार्मासिस्ट, तीन दर्जा चार कर्मचारी हैं। पुरे अस्पताल की सफाई का जिम्मा सिर्फ एक सफाई कर्मचारी के सिर पर है। सबसे दयनीय हालत लेबोरटरी सेवाओं की है। अस्पताल में मरीजों के रक्त, पेशाब इत्यादि की जांच हेतु मेडिकल लैब तो है किन्तु लैब टेक्निशियन की रेगुलर तैनाती न होने के कारण सप्ताह में एक दिन टेक्शियन आता है। कुछ ऐसा ही हाल एक्सरे सेवा का भी है। अस्पताल में एक्सरे मशीन होने के बावजूद सप्ताह में सिर्फ दो दिन रेडियोग्राफर आता है। जिसके चलते अस्पताल में उपचार हेतु आने वाले मरीजों को लैब तथा अन्य टेस्टों के सिविल अस्पताल रामपुरा अथवा महंगे दाम पर निजी लैब पर जाने हेतु मजबूर होना पड़ रहा है। गाँव वासियों ने कहाकि मुख्यमंत्री के पैतृक गांव में स्वास्थ्य सेवाओं का यह हाल है तो राज्य के अन्य गांवों में क्या हाल होगा।

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