इच्छाओं को समाप्त करने से मिलेगी शांति: डा. राजेंद्र मुनि

डा.राजेंद्र मुनि जी ने कहा कि भगवान की स्तुति करने से पापों का नाश होता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 09:42 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 09:42 PM (IST)
इच्छाओं को समाप्त करने से मिलेगी शांति: डा. राजेंद्र मुनि
इच्छाओं को समाप्त करने से मिलेगी शांति: डा. राजेंद्र मुनि

संस, बठिडा: जैन सभा के प्रवचन हाल में डा.राजेंद्र मुनि जी ने कहा कि भगवान की स्तुति करने से पापों का नाश होता है, क्योंकि स्तुति से मन के विकार नष्ट होते हैं। भावों में शुद्धिकरण होता है।

उन्होंने कहा कि मानव मन सांसारिक कार्यों में जब रहता है तब राग द्वेष आए बिना नहीं रह पाते, क्योंकि कार्य की संपन्नता में राग है। कार्य की संपन्नता में राग है। कार्य के अवरोध होने पर द्वेष की संभावना रहती है। भक्ति में सांसारिक स्वार्थ भावनाएं समाप्त हो जाती हैं। जीवन निर्माण की शुभभावनाएं, आत्म भाव का जागरण होता है। वहां पुण्योपार्जन होता रहता है। आचार्य मानतुंग जी कह रहे हैं हे प्रभो। आपका तो मात्र नाम स्मरण ही हमारे पापों को नष्ट करने में सक्षम है। आपके जीवन के गुणनुवाद से हमारे पाप नष्ट होते हैं। आपका जीवन गुणों का सागर है। आपने मानव मात्र के कल्याण के लिए जो मार्ग बतलाया है जिसे अपना कर अनेकानेक जीवों ने मोक्ष प्राप्त किया है। आपके बतलाए गए उपदेश, अहिसा, सत्य, क्षमा, शाकाहार आदि को जीवन में धारण करने से समस्त जीवों को शांति का अनुभव होता है।

मुनि जी ने वर्तमान समय की दुर्दशा पर चिता जाहिर करते हुए कहा कि आज मानव मानव से भयभीत है। पता नहीं कौन कब किसका संहार हिसा कर दे? किसके पास कौन हिसक कारी अस्त्र शस्त्र है? निर्दोषों का खून बहता जा रहा है। बड़े लोगों के अपने स्वार्थ के कारण आम जनता मारी जा रही है। इसके पीछे दया की भावना का समाप्त होना, पुण्य परोपकार के भावों में कमी का होना मुख्य कारण है। सभा में साहित्यकार श्री सुरेंद्र मुनि जी द्वारा भक्तामर जी स्तोत्र के माध्यम से धर्म के विविध स्वरूपों का वर्णन किया गया जीवन में शांति बाहर के पदार्थो से नहीं अपितु मानसिक इच्छाओं के परिणाम से ही संभव है। आग से पेट्रोल से कभी आग शांत नहीं हो सकती। महामंत्री उमेश जैन ने स्वागत व सूचनाएं प्रदान की।

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