निजी बसें बंद, सरकारी पड़ रहीं कम, यात्री परेशान
टैक्स न भरने के कारण बंद की गई निजी बसों के कारण अब सवारियों को काफी परेशान होना पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, बठिडा: टैक्स न भरने के कारण बंद की गई निजी बसों के कारण अब सवारियों को काफी परेशान होना पड़ रहा है। हालात यह हैं कि पीआरटीसी की ओर से सवारियों के हिसाब से बसों को चलाया नहीं जा रहा। हालांकि अधिकारियों की ओर से दावा किया जा रहा है उनके पास बसों की पूरी गिनती है, जिनको समय के अनुसार चलाया जा रहा है।
बठिडा के बस स्टैंड पर पीआरटीसी का डिपो बना हुआ है, जबकि बठिडा से चलने वाली न्यू दीप कंपनी की सभी बसों को टैक्स न भरने के कारण बंद कर दिया गया है। कंपनी की बठिडा से फरीदकोट व अमृतसर के लिए बहुत ज्यादा सर्विस थी। वहीं बसों के बंद होने के बाद उनकी जगहों पर पीआरटीसी की बसों को चलाया जा रहा है। बठिडा से न्यू दीप की फरीदकोट के लिए हर रोज सुबह साढ़े छह बजे से शाम 6:40 तक 40 बसें, अमृतसर के लिए सुबह 4:20 से शाम सात बजे तक 20 बसें, पठानकोट के लिए अलग-अलग समय में तीन बसें, रामा के लिए सुबह आठ से शाम 7:40 तक 12 बसें व तलवंडी साबो के लिए सुबह सात से रात 8:40 तक 30 बसें निकलती थीं। इसके अलावा न्यू दीप की बसें सरदूलगढ़, कालियांवाली को भी जोड़ती थी, लेकिन अब यह सभी बसें बंद हो गई हैं।
बठिडा डिपो में पीआरटीसी के पास कुल 179 बसें हैं, जिनको पहले ही अलग-अलग रूटों चलाया जाता है, लेकिन अब फरीदकोट व अमृतसर की मुख्य सर्विस बंद होने के कारण पीआरटीसी द्वारा बसों का संचालन किया जा रहा है। वह सवारियों की गिनती के हिसाब से पूरी नहीं हो रही हैं। हालात यह हैं कि जो बस सवारियों को पहले पांच से 10 मिनट में मिल जाती थी, वह अब 20 मिनट के अंतराल में मिल रही है। दोपहर के समय तो स्कूल कालेजों में छुट्टी होने के बाद दो से चार बजे तक बस स्टैंड पर सवारियों की भीड़ इतनी ज्यादा हो जाती है कि उनको बस की खिड़कियों में लटक कर जाना पड़ता है। इसका सबसे बड़ा कारण है कि जिन रूटों पर न्यू दीप कंपनी की बसों की मोनोपली थी, वहां पर अब कंपनी की सभी बसों का संचालन बंद हो गया है। जबकि सरकारी बसों की गिनती कम होने से लोगों को बसें नहीं मिल रही हैं। दूसरी तरफ बठिडा डिपो के जीएम रमन शर्मा का कहना है कि उनके पास बसों की कोई कमी नहीं है। दो दिन शहर में जाम लगे होने के कारण बसें देरी से पहुंची, क्योंकि जो बस पीछे से आती है, उसको ही आगे रूट पर भेजा जाता है। लेकिन बसों की कमी नहीं है।