सांसों के लिए खतरनाक पराली का धुआं

प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद धान की कटाई के बाद पराली जलाने के मामले बढ़ने लगे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 02:48 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 02:48 AM (IST)
सांसों के लिए खतरनाक पराली का धुआं
सांसों के लिए खतरनाक पराली का धुआं

साहिल शर्मा, बठिडा

प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद धान की कटाई के बाद पराली जलाने के मामले बढ़ने लगे हैं। जिले में अभी 12 मामले ही सामने आए हैं, लेकिन एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 79 पर पहुंच गया है। अगर आने वाले दिनों में पराली जलाने के मामले कम न हुए तो प्रदूषण का स्तर बढ़ने से दमा, खांसी के मरीजों को दिक्कत हो सकती है। हालांकि स्थिति गत वर्ष से बेहतर है, क्योंकि गत वर्ष इन दिनों में पराली जलाने के कारण प्रदूषण का स्तर एक्यूआइ 369 पर पहुंच गया था। किसानों को जुर्माना भी किया गया, लेकिन अब तक किसी केस में रिकवरी नहीं हो पाई है। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए टीमों का गठन किया गया है। साथ ही पराली जलाने वाले किसानों की जमीनों को रेड लाइन करने की तैयारी की जा रही है। सिविल अस्पताल में ओपीडी 200 के पार धुएं के कारण मरीजों की आंखों में जलन, हार्ट और अस्थमा मरीजों के लिए मौत से कम नहीं है। सिविल अस्पताल में ऐसे मरीजों की ओपीडी 200 के पार हो गई है। मौसम विभाग के वैज्ञानिक डा. राज कुमार के अनुसार इस समय सुबह नमी की मात्रा 68 फीसद और शाम को 52 फीसद रिकार्ड की जा रही है। इसका सीधा असर सर्दी बढ़ने पर पड़ रहा है। दिन के समय नमी बढ़ने से अब रात को ओस की बूंदें गिरनी भी शुरू हो गई हैं, जो पराली के मिक्स हुए धुएं को भी कम करने में मदद करेगा। गत वर्ष 369 पर पहुंच गया था एयर क्वालिटी इंडेक्स आमतौर पर एक्यूआइ 60 से 100 के बीच रहना चाहिए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार 2015 में एक्यूआइ 111 रहा तो 2016 में यह 117 हो गया। 2017 में 120 के पार था। पीपीसीबी के मुताबिक 2018 में एक्यूआइ 200 से 350 के बीच रहा। मगर 2019 में यह 250 से 400 के बीच हो गया है, जबकि 2020 में यह 369 तक पहुंच गया, जोकि सेहत के लिए बहुत हानिकारक है। पराली का धुआं इसलिए भी हानिकारक है, क्योंकि इसमें कई प्रकार की जहरीली गैसें मिली होती हैं। साल 2019 में वसूला था 55 लाख का जुर्माना जिले में पराली जलाने के 2019 में 1983 मामले सामने आए थे, जिनसे 55 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया था। वहीं साल 2018 के दौरान 5342 जगहों पर पराली को आग लगाने की पहचान हुई थी, जिसमें से 525 किसानों के चालान काटकर उनको 13,12,500 रुपये जुर्माना भी किया गया। वहीं साल 2017 में पराली जलाने के सेटेलाइट ने 3501 केस बताए थे, जिसमें से सिर्फ 40 किसानों की ही पहचान की गई थी, लेकिन चालान किसी का भी नहीं काटा था। क्योंकि पंजाब सरकार ने किसानों को सब्सिडी देने पर जोर दिया था।

पराली जलाने पर जुर्माना

दो एकड़ तक पराली जलाने पर 2500 रुपये

पांच एकड़ तक पराली जालने पर 5000 रुपये

पांच एकड़ से अधिक पराली जलाने पर 15 हजार रुपये इन विभागों की है जिम्मेदारी

- पुलिस: कार्रवाई पर अमल करवाना

- कृषि : किसानों को पराली जलाने के नुकसान विकल्प बताना

- पंचायत: ग्राम सचिवों द्वारा सूचना देना

- रेवेन्यू: पटवारियों द्वारा सूचना देना जुर्माना नोटिस वसूली

- प्रदूषण: जुर्माना नहीं देने पर मुकदमा दर्ज कर पैरवी करना

पराली जलाने के जितने भी केस सेटेलाइट से सामने आते हैं, उनको वेरिफाई किया जाता है। अब तक 12 जगहों पर पराली जलाने की पहचान हो पाई है। वहीं चालान काटने के बाद रिकवरी करने की जिम्मेवारी संबंधित विभाग की होती है, लेकिन वह फिर भी कार्रवाई के लिए रिपोर्ट सौंप देते हैं।

रविपाल सिंह, सहायक वातावरण इंजीनियर, बठिडा

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