वैराग्य मूर्ति जैनम जैन का तिलक रस्म समारोह आयोजित
जैन सभा प्रवचन हाल में डा. राजेंद्र मुनि ने दीक्षा का महत्व बतलाया।
संस, बठिडा: जैन सभा प्रवचन हाल में डा. राजेंद्र मुनि ने दीक्षा का महत्व बतलाते हुए कहा कि जैनधर्म त्याग का महामार्ग है। तीर्थंकर आदिनाथ भगवान से लेकर भगवान महावीर स्वामी तक यह अखण्ड परंपरा चल रही है।
उन्होंने कहा कि महावीर के बाद भी गणधर व आचार्य गण इस परंपरा को अखंड रूप से आज तक चली आई है, जिसमें हजारों हजार संयम बनकर अपनी आत्म कल्याण की साधना में रत है। दीक्षा मुख्यत तीन प्रकार की कहीं गई है- मन की दीक्षा वचन की दीक्षा काया की दीक्षा इसका बाहरी रूप वचन व काया का नजर आता है। भीतरी स्वरूप मन में प्रवर्तमान रहता है। जब तक मानसिक रूप से दीक्षा न आ पाए तब तक वाचिक कायिक रूप सफल नहीं हो पाता, निरंतर हमारा जीवन तरह तरह के विचारों से बंधा सा रहता है। अशुभ व संसार परक विचारों के कारण कर्म बंधन पाप बंधन निरंतर जारी रहता है। इन्ही पापों की बेड़ियों को तोड़ने के लिए जैन धर्म में समस्त संसार परक संबंधों का परित्याग करके जैन दीक्षा ग्रहण की जाती है। बाल वैरागी जैनम विगत आठ वर्षो से गुरु चरणों में दीक्षा पूर्व अभ्यास में सलग्न है। आज के विजयदशमी के शुभ दिन संसार विजय स्वरूप तिलक रस्म में समाज द्वारा महिला मंडल, युवती मंडल, युवा मंडल द्वारा स्वागत किया गया। 23 जनवरी को लुधियाना में होगा दीक्षा समारोह
विशेष रूप से उपस्थित लुधियाना संघ के प्रधान अरिदमन जैन, महामंत्री प्रमोद जैन, विजय जैन, फूल चंद जैन, जितेंद्र जैन की प्रार्थना पर दीक्षा महोत्सव का कार्यक्रम दिनांक 23 जनवरी 2022 को सिविल लाइन लुधियाना में करने का विधान किया गया। सभा में साहित्यकार सुरेंद्र मुनि द्वारा दीक्षा विधि का स्वरूप बतलाते हुए भक्तामर का स्वाध्याय कराया गया। महामंत्री उमेश जैन प्रधान महेश जैन, शिवकुमार जैन पुष्पइंद्र जैन व प्रमोद जैन ने आभार व्यक्त किया।