सिविल अस्पताल प्रबंधन ने फिर से दो अनट्रेड स्टाफ को ब्लड बैंक में किया तैनात

एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में अधिकारियों की कारगुजारी पर सवाल उठने शुरू हो गए है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 06:00 AM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 06:00 AM (IST)
सिविल अस्पताल प्रबंधन ने फिर से दो अनट्रेड स्टाफ को ब्लड बैंक में किया तैनात
सिविल अस्पताल प्रबंधन ने फिर से दो अनट्रेड स्टाफ को ब्लड बैंक में किया तैनात

जासं, बठिडा : सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में एक महिला समेत चार थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में अधिकारियों की कारगुजारी पर सवाल उठने शुरू हो गए है। अब तक चार थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआइवी पाजिटिव रक्त चढ़ाने की पुष्टि हो चुकी है, जबकि सेहत विभाग ने केवल दो मामलों की ही जांच शुरू की है। इसमें भी जांच का दायरा विवादों के घेरे में आया हुआ है। प्रतिदिन सिविल अस्पताल में स्थित लैब में जहां 350 लोगों की टेस्टिंग विभिन्न बीमारियों की जांच के लिए होती है, वहां से ब्लड बैंक संबंधी दो अनट्रेड कर्मियों को ब्लड बैंक में नियुक्ति दी गई है। इसमें अनमोलजीत व सुरिदर कौर को ब्लड बैंक में ड्यूटी ज्वाइन करने की हिदायत दी है। दोनों ने कहा कि उनके पास ब्लड बैंक की टेस्टिंग का कोई अनुभव नहीं है। इस मामले में जोनल अथारिटी जिला ड्रग कंट्रोल विभाग के अधिकारी अमनदीप वर्मा का कहना है कि वह कुछ दिनों से छुट्टी पर हैं। इसमें दफ्तर जाने के बाद ही मामले के बारे में सही जानकारी दे सकते है कि ब्लड बैंक में जांच कब हुई व इसमें क्या कमियां पाई गई थी।

गौर हो कि सेहत विभाग ने सात नवंबर को घटित घटना में एड्स कंट्रोल सोसायटी के अधीन काम करने वाले कर्मी अजय शर्मा व जगदीप को चंडीगढ़ तलब किया है। जबकि दो अन्य कर्मी गुरदीप सिंह व गुरदीप घुम्मन जोकि ठेके पर भर्ती है, तो निलंबन का आदेश दिया है। इस पूरे मामले में सवाल यह उठता है कि ब्लड बैंक संचालन, लाइसेंस व प्रबंधन की जांच का जिम्मा ड्रग कंट्रोलर एंड लाइसेंसिग अथारिटी के पास होता है। इसका काम है कि ब्लड बैंक को लाइसेंस जारी करने के बाद वहां मिलने वाली सुविधा, तैनात कर्मचारियों के अनुभव व हासिल की गई ट्रेनिग व काबलियत के साथ साधनों की समय-समय पर जांच करे। अगर इसमें कोई कमी है तो उसके बारे में ब्लड बैंक अथारिटी को नोटिस जारी कर समय दे व समय पर कमियां पूरी नहीं होने पर लाइसेंस रद करने की प्रक्रिया अमल में लाई जाती है। फिलहाल सिविल अस्पताल में ब्लड बैंक में पिछले डेढ़ माह से लगातार लापरवाही हो रही है व कहा जा रहा है कि अनट्रेड स्टाफ से काम लिया जा रहा है व उनके पास जरूरत अनुसार साजों सामान व जांच के लिए मशीनरी नहीं है। इसके बावजूद ड्रग कंट्रोलर की तरफ से ब्लड बैंक में जाकर जांच करना अनुचित नहीं समझा गया। अगर उक्त जांच समय पर होती व ईमानदरी से पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाता तो उक्त लापरवाही सामने ही नहीं आती। अब सवाल उठता है कि ड्रग कंट्रोलर को काम के प्रति जवाबदेह बनाने का काम किसका है। इसमें भी सेहत विभाग के आला अधिकारी सीधे तौर पर जिम्मेवार है। अगर उन्होंने मशीनों को समय पर ठीक करवाया होता व पहली लापरवाही के बाद ही समुचित कदम उठाते तो चार लापरवाही इस तरह से नहीं होती। इसमें सिविल सर्जन से लेकर एसएमओ व ब्लड बैंक इंचार्ज ने सीधे तौर पर नियमों की अवहेलना की व ड्रग कंट्रोलर अपनी जिम्मेवारी से भागते रहे।

chat bot
आपका साथी