आत्महत्या का ख्याल आए तो सोचें अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ

परेशानी के चलते मन में आत्महत्या तक करने के ख्याल आने लगते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 08:02 AM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 08:02 AM (IST)
आत्महत्या का ख्याल आए तो सोचें अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ
आत्महत्या का ख्याल आए तो सोचें अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ

जागरण संवाददाता बठिडा : कभी कुछ लोग अपनी निजी समस्याओं के चलते इतने परेशान हो जाते हैं कि उनके मन में आत्महत्या तक करने के ख्याल आने लगते हैं। आत्महत्या के ख्याल आने पर जरूरी है कि आप खुद को संभालें और इस नकारात्मक विचार से खुद को दूर करने की भरपूर कोशिश करें। आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। इन शब्दों का प्रकटावा मनोरोग माहिर डा.अरुण बंसल द्वारा किया गया। वह दैनिक जागरण कार्यालय में हेलो जागरण प्रोग्राम में बतौर मेहमान आए हुए थे। डा. अरुण बंसल ने कहा कि पिछले दिनों में बठिडा व इसके आस पास के क्षेत्र में खुदकुशी की घटनाएं बढ़ी हैं। दो लोगों ने तो अपने पूरे परिवार को ही खत्म कर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे में लोगों को जागरुक होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आत्महत्या के ख्याल आना दोष नहीं है और इसका मतलब यह भी नहीं है कि आप पागल हैं, या कमजोर हैं। इसका केवल यह अर्थ है कि आप ज्यादा दर्द में हैं। हो सकता है आपको लग रहा हो कि ये दर्द आपके साथ हमेशा रहेगा लेकिन, समय और समर्थन के साथ, आप अपनी समस्याओं को दूर कर सकते हैं और दर्द और आत्महत्या की भावनाएं से खुद को पार ले जाएंगे।

ऐसे निकलें डिप्रेशन से

डा.अरुण बंसल ने कहा कि आपकी अनुपस्थिति मित्रों और प्रियजनों के जीवन में दुख और पीड़ा पैदा करती है। जब भी दिमाग पर नकारात्मक बातें हावी हो और आपको लगे कि आपका जीवन व्यर्थ है तो आप यह सोचें कि कितने लोग हैं जिन्हें आपसे लगाव हैं। उनकी जिदगी में आपकी अनुपस्थिति से कितना दुख होगा।

कई चीजें हैं, जो आप अभी भी अपने जीवन में पूरा कर सकते हैं। कभी भी ऐसा लगे कि आपके पास जीवन में करने के लिए कुछ नहीं है तो यह सोचें कि जिन चीजों को आप करना चाहते थे। छोटी-छोटी चीजों में खुशियां ढूंढें। हर वो काम करें जिससे आपको खुशी मिले। जीवन में ढेर सारी जगहें, अनुभव हैं, जो आपको खुश करने की क्षमता रखते हैं। आपको इन चीजों से खुद को जोड़े रखना होगा। जब भी दिमाग में नकारात्मकता हावी हो तो उन सभी पलों के बारे में सोचें जिनमें आपको खुशी मिली हो। आत्महत्या का ख्याल आना एक तरह की मानसिक समस्या है। आप यह न समझें कि यह दर्द कभी खत्म नहीं हो सकता, इस समस्या से निकलने के लिए हमेशा अपने घरवालों के साथ रहें और ज्यादा से ज्यादा समय उन्हीं के साथ बिताएं।

सवाल- आनलाइन पढ़ाई होने के कारण बच्चे मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं। ऐसे में उनको मोबाइल से नेगेटिव विचार आ सकते हैं ?

जवाब - बच्चों का सक्रीन टाइम घटना चाहिए। बच्चों को मोबाइल तभी दें जब उनकी आनलाइन पढ़ाई की क्लास हो। बच्चों को मोबाइल फोन पर गेम या वायलेंट कंटेंट नहीं देखने देना चाहिए,यह बच्चों पर गहरा बसर करते हैं। बच्चों को मोबाइल से हटा कर शारीरिक एक्टिविटी,सैर,जिम,संगीत या एरोबिक्स में लगाना चाहिए।

राजविदर सिंह सवाल- मेरा बेटा 13 साल का है। मानसिक दिव्यांग होने के कारण उसको गुस्सा बहुत आता है। क्या करें?

सोनू बठिडा जवाब- सबसे पहले उसका आईक्यू टेस्ट कराना होगा। इससे उसके बारे में सही तरह से डायगनाज हो पाएगा। आप किसी भी काम वाले दिन सरकारी अस्पताल की ओपीडी में कमरा नंबर 5 में मुझे मिल सकते हैं।

सवाल- मेरा भाई नशों का आदी है। वह कई बार वायलेंट हो जाता है। उसका कोई समाधान बताएं?

गुरसोहन सिंह जवाब- सरकारी रीहेबलिटेशन सेंटर खुल गया है। आप उसको बिना किसी फीस के वहां पर भर्ती करा सकते हैं। वहां पर उसका मुफ्त उपचार करने के साथ साथ उनको रहने व खाने का भी मुफ्त सुविधा दी जाएगी।

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