अच्छे संस्कार वाले को बनाएं मित्र: डा. साध्वी सुनीता

डा. सुनीता महाराज ने कहा की मित्रता हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 06 Mar 2021 09:01 PM (IST) Updated:Sat, 06 Mar 2021 09:01 PM (IST)
अच्छे संस्कार वाले को बनाएं मित्र:  डा. साध्वी सुनीता
अच्छे संस्कार वाले को बनाएं मित्र: डा. साध्वी सुनीता

संवाद सूत्र, मानसा: जैन स्थानक मानसा में विराजमान जैन भारती सुशील कुमारी महाराज की सुशिष्य श्रमणी गौरव साध्वी डा. सुनीता महाराज ने कहा की मित्रता हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मित्र के बिना हर व्यक्ति अकेला है।

उन्होंने कहा कि सच्चे मित्र मुश्किल से मिलते हैं। सुदामा और कृष्ण की मित्रता, सच्ची मित्रता का उदाहरण है। मित्र की संगति का मनुष्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इस कारण हमें सोच समझ कर, अच्छे संस्कार वाले व्यक्ति से ही मित्रता करनी चाहिए। अच्छे मित्र की संगति में मनुष्य अच्छा बनता है और बुरे की संगति में बुरा बनता है। सच्चा मित्र दुख-सुख का साथी होता है और सदैव हमें गलत काम करने से रोकता है। मित्रता में संदेह का स्थान नहीं होता। मित्रों में आपस में पारस्परिक सहयोग की भावना होनी चाहिए। मित्रता हमेशा बनी रहे, इसके लिए हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिए। जिस प्रकार पौधे को जीवित रखने के लिए, खाद और पानी की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मित्रता को बरकरार रखने के लिए सहयोग और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है। मित्रता में संदेह का स्थान नहीं होता है। सच्चे मित्र की पहचान मुसीबत में ही होती है। अत: मित्रता अनमोल होती है और हमारे सुचारू रूप से चलने में सहायता करती है। इसीलिए हमारे जीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है। विश्वसनीय मित्र सुंदर उपहार होता है। जीवन की सर्वोत्तम उपलब्धियों में से एक है कुछ ऐसे मित्रों का होना जिन पर आप निर्भर हो सकें व कुछ भी साझा कर सकें। समय के साथ अधिकांश मित्रता का हर बंधन ढीला पड़ जाता है। कितु कुछ लोग जीवनपर्यंत उसे बनाए रखते हैं। एक विश्वसनीय मित्र का होना एक निष्ठावान जीवन साथी, जिसे आप वास्तव में प्रेम करते हों, आपके लिए सबसे सुंदर उपहार होता है। धर्म से अच्छा कोई मित्र नहीं: साध्वी शुभिता

साध्वी शुभिता ने कहा कि धर्म से अच्छा मित्र कोई नहीं होता। जब मुसीबत में दुनिया के सभी दरवाजे बंद हो जाते हैं तब प्रभु का दरवाजा हमेशा ही खुला रहता है। परमात्मा कभी भी अपने भक्त मित्र को भटकने नहीं देता। जैसे श्री कृष्ण महाराज ने अपने सुदामा मित्र की गुप्त रूप से सहायता भी की और सुदामा को उसकी गरीबी का एहसास भी नही होने दिया। वैसे ही प्रभु हमेशा सभी का साथ देते हैं।

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