हिदी गीतों व सैर के मुरीद हैं डिप्टी मेयर हरमंदर सिंह

डिप्टी मेयर मास्टर हरमंदर सिंह को अपने क्षेत्र के लोगों के साथ बैठ कर चर्चा करने व सैर करने का शौक है। ऐसा कोई दिन नहीं जब वे सैर करने के लिए सुबह-शाम घर से न निकलते हों। सैर के शौक के कारण ही उन्होंने अपने वार्ड में तीन पार्क डेवलप कराए और वहां पर आम लोगों के साथ-साथ वे खुद भी सैर करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 06 Oct 2021 10:16 PM (IST) Updated:Wed, 06 Oct 2021 10:16 PM (IST)
हिदी गीतों व सैर के मुरीद हैं डिप्टी मेयर हरमंदर सिंह
हिदी गीतों व सैर के मुरीद हैं डिप्टी मेयर हरमंदर सिंह

गुरप्रेम लहरी, बठिडा : डिप्टी मेयर मास्टर हरमंदर सिंह को अपने क्षेत्र के लोगों के साथ बैठ कर चर्चा करने व सैर करने का शौक है। ऐसा कोई दिन नहीं जब वे सैर करने के लिए सुबह-शाम घर से न निकलते हों। सैर के शौक के कारण ही उन्होंने अपने वार्ड में तीन पार्क डेवलप कराए और वहां पर आम लोगों के साथ-साथ वे खुद भी सैर करते हैं।

पार्कों के अलावा वे अपने वार्ड की गलियों में भी सैर के लिए निकल जाते हैं। उनका मानना है कि गलियों में सैर करने के दो फायदे हैं। एक तो सैर हो जाती है और दूसरा उनको अपने वार्ड की परेशानियों का पता चल जाता है कि किस गली में कौन सी दिक्कत है। डिप्टी मेयर का कहना है कि उनकी पूरी जिदगी संघर्ष में ही निकली है। अपने आप को व परिवार को वे ज्यादा समय नहीं दे पाए। लेकिन फिर भी जो शौक पूरे किए जा सकते थे, वे किए हैं। डिप्टी मेयर हरमंदर सिंह को सफेद कुर्ता पायजामा पहनने का शौक है। उनका कहना है कि रिवायती पोशाक जैसा और कोई लिबास नहीं है। इसको पहनने से अलग ही फीलिग आती है। इस लिए ही वे सफेद कुर्ते पायजामे को पहल देते हैं।

--- हिदी गीतों के शौकीन हैं डिप्टी मेयर

डिप्टी मेयर हरमंदर सिंह को संगीत का बहुत शौक है। जब भी उनको फुरसत मिलती है तो वे पुराने हिदी गीत सुनते हैं या फिर जब कभी वे सफर पर होते हैं तो गाड़ी में पुराने हिदी गीत सुनते हैं। उनके पसंदीदा हिदी गायक लता मंगेशकर, आशा भोसले, अनुराधा पौडवाल व मुहम्मद रफी हैं। पढ़ने का शौक लेकिन अब निगाह जबाव दे गई

मास्टर हरमंदर सिंह सांइस के छात्र रहे हैं। उनको शुरू से ही सांइस का शौक था और इसी वजह से वे सांइस टीचर बने और बाद में जिला सांइस सुपरवाइजर तैनात रहे। उनको पढ़ने का तो बहुत शौक है लेकिन वे पढ़ते सिर्फ सांइस से संबंधित किताबें ही हैं। 2009 में उनकी एक आंख की रौशनी चली गई। ऐसे में अब जब वे पढ़ने बैठते हैं तो दिक्कतें आने लगती हैं। फिर भी उनकी कोशिश रहती है कि कुछ देर के लिए कोई सांइस से संबंधित किताब पढ़ें।

----- संघर्ष में निकली पूरी जिदगी

मास्टर हरमंदर सिंह की पूरी जिदगी ही संघर्ष में निकली है। पहले वे अपने गांव संगत में रहते थे। इसके बाद बठिडा शिफ्ट हो गए और यहां कारोबार करने लगे। इसके साथ ही अचानक ही उनकी एंट्री राजनीति में हो गई और व्यस्तताएं और बढ़ गई। उनको एक बात का हमेशा से मलाल रहा है कि एक भी दिन अपने अनुसार नहीं जी पाए। रात को सुबह के लिए कुछ सोच कर सोते हैं लेकिन करना कुछ और पढ़ जाता है। सुबह के समय प्राथमिकताएं बदल जाती हैं। -----

सांइस दे रही काम

मास्टर हरमंदर सिंह की सांइस की पढ़ाई राजनीति में भी काम आ रही है। क्योंकि वे लोगों की समस्याओं पर सांइटिफिक वे से सोचते हैं। सांइटिफिक तरीके से उनकी समस्याओं के रूट कॉज की पहचान करते हैं और उनका समाधान तलाशते हैं।

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