साहित्यक समागम में मुद्दों पर की चर्चा
साहित्य सुर संगम सभा द्वारा संत राम उदासी व डा.भीम राव अंबेडकर को समर्पित आई बैसाखी पब्ब नहीं उठदा साहित्यक समागम का आयोजन किया गया। समागम की प्रधानगी प्रसिद्ध शास्त्री व चितंक डा.एसपी सिंह ने की जबकि विशेष मेहमान के तौर पर पंजाबी साहित्य अकादमी के पूर्व प्रधान प्रो.गुरभजन सिंह गिल ने शिरकत की।
जागरण संवाददाता, बठिडा : साहित्य सुर संगम सभा द्वारा संत राम उदासी व डा.भीम राव अंबेडकर को समर्पित 'आई बैसाखी पब्ब नहीं उठदा' साहित्यक समागम का आयोजन किया गया। समागम की प्रधानगी प्रसिद्ध शास्त्री व चितंक डा.एसपी सिंह ने की जबकि विशेष मेहमान के तौर पर पंजाबी साहित्य अकादमी के पूर्व प्रधान प्रो.गुरभजन सिंह गिल ने शिरकत की। मुख्य वक्ताओं में डा.मनीश कुमार दिल्ली, डा.सिमरन सेठी रामानुज कालेज दिल्ली,यूको बैंक के चीफ मैनेजर मोहन सिंह मोती ने बैसाखी के एतिहासिक व धार्मिक पक्षों पर प्रकाश डाला। इसके बाद डा.सिमरन सेठी ने बैसाखी व सभ्याचार व सामाजिक पक्षों को ध्यान में रख कर विचार प्रकट किए। डा.मनीश कुमार ने बैसाखी के राजनीतिक व आज के पक्षों पर विचार चर्चा की।
डा.एसपी सिंह व प्रो.गुरभजन गिल ने विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार पेश किए। सभा के प्रधान बलविदर सिंह चाहल ने मेहमानों का स्वागत किया। प्रो.जसपाल सिंह ने सबका धन्यवाद किया। इस समय करवाए गए कवि दरबार में केहर शरीफ जर्मनी, अमजद आर्फी जर्मनी, जीत सुरजीत बेल्जियम, किरण पाहवा मंडी गोबिदगढ़,जगदीप शाहपुरी मोगा, प्रेमपाल सिंह इटली, सोहन सिंह हैदराबाद, मास्टर गुरमीत सिंह व साहित्य सभा के समूह पदाधिकारी मौजूद थे। इन में राणा अठौला, मेजर सिंह खख, दलजिदर रहल, सिक्की झज्जी पिड वाला, मलकीयत सिंह धालीवाल, बिदर कोलियांवाल, निरवैल सिंह ढिल्लों आदि ने बखूबी हाजिरी लगाई। समागम का संचालन दलजिदर रहल ने बहुत प्रभावशाली अंदाज में निभाई।