एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़ाने का मामला: पीड़ितों को चार लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश

सरकारी ब्लड बैक में थैलेसिमिया पीड़ित सात साल की बची व एक गर्भवती महिला को एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली ने कड़ा संज्ञान लिया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 09:43 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 09:43 PM (IST)
एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़ाने का मामला: पीड़ितों को चार लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश
एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़ाने का मामला: पीड़ितों को चार लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश

जासं,बठिडा: सिविल अस्पताल बठिडा के सरकारी ब्लड बैक में थैलेसिमिया पीड़ित सात साल की बच्ची व एक गर्भवती महिला को एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़ाने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली ने कड़ा संज्ञान लिया है। आयोग ने पंजाब के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर 27 अगस्त 2021 तक पीड़ितों को चार लाख रुपये की मुआवजा जारी करने के आदेश दिए। साथ ही राशि जारी करने के बाद रिकार्ड की कापी आयोग को भेजने की हिदायत दी है। वहीं चेतावनी दी है कि अगर तय सीमा में मुआवजा न दिया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कानूनी मामलों के सहायक रजिस्ट्रार दविद्रा कुंद्रा की ओर से जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि आयोग को जालंधर के रहने वाले कुलवंत सिंह नागरा ने शिकायत भेजी थी। इसमें उन्होंने बठिडा सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में एक गर्भवती महिला व थैलेसिमिया पीड़ित सात साल की बच्ची को एचआइवी संक्रमित रक्त चढ़ाने की जानकारी दी थी। शिकायतकर्ता ने कहा था कि ब्लड बैंक के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते दोनों को संक्रमित रक्त चढ़ाया गया। ऐसे में आरोपित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। यह लापरवाही किसी भी सूरत में माफी के लायक नहीं है। इसमें जहां मरीजों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए, वहीं लापरवाह लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

आयोग ने इस मामले में राज्य सरकार व उसके विभाग की तरफ से जांच व कार्रवाई को लेकर की गई देरी व लापरवाही पर भी सख्त टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सरकार मात्र कानूनी व विभागीय कार्रवाई कर मामले में खानापूर्ति नहीं कर सकती। सेहत कर्मियों की लापरवाही के कारण जो मानसिक व शारीरिक वेदना परिजनों व प्रभावित व्यक्ति को झेलनी पड़ रही है, उसे कम नहीं आंका जा सकता है। सरकार का फर्ज बनता था कि पीड़ितों को बिना देरी बनता मुआवजा दिया जाए, लेकिन इसमें एक साल से अधिक समय तक की देरी करना लापरवाही को दर्शाता है। ऐसे में पंजाब सरकार पीड़ितों को 27 अगस्त 2021 से पहले मुआवजे की राशि दे और उसका रिकार्ड आयोग के पास भेजे।

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