विशेष नियम लागू कर होटल व रेस्टोरेट खोलने की मंजूरी दे सरकार
कोरोना काल में बंद किए गए होटलों से होटल संचालक परेशान हैं।
जागरण संवाददाता, बठिडा: कोरोना काल में बंद किए गए होटलों से होटल संचालक परेशान हैं। उनका कहना है कि अगर एक बस में 30 सवारियां बैठ सकती हैं तो होटल में इतनी ज्यादा स्पेस होने के बाद भी शारीरिक दूरी रखकर ग्राहकों को बैठने क्यों नहीं दिया जा रहा? सरकार ने होटल बंद कर लोगों को खाना खिलाने वालों के पेट पर लात मारी है। दैनिक जागरण की ओर से करवाई गई राउंड टेबल में होटल, रेस्टोरेंट व रिजोर्ट एसोसिएशन के सदस्यों ने अपनी समस्याओं पर मंथन किया। उन्होंने कहा कि उनके खर्चे तक नहीं निकल रहे। सरकार नियम लागू कर होटल खोलने की मंजूरी दे। भूखे मरने को मजबूर हो रहे होटल संचालक
- कोरोना काल में होटल संचालक भूखे मरने को मजबूर हैं। जो दूसरों का पेट भरते थे, आज खुद का पेट भरना मुश्किल हो रहा है। होटल कारोबारी ग्राहको को तो कोरोना से बचा सकते हैं, लेकिन सरकार की नितियों के आगे हमारी एक नहीं चलती। स्टाफ का वेतन देना भी मुश्किल हो रहा है।
- सतीश अरोड़ा, प्रधान, होटल रेस्टोरेंट रिजोर्ट एसोसिएशन
होटलों में जगह काफी, दूर-दूर बिठा सकते हैं ग्राहक
- सरकार होटल संचालकों के साथ डबल गेम खेल रही है। पालिसी बनाने वाले हमारे बारे में कुछ नहीं सोचते। अगर बसों में 30 सवारियों को बिठाने की मंजूरी मिल सकती है तो हमारे पास तो होटल में काफी जगह होती है। ग्राहकों को हम काफी दूर-दूर बिठा सकते हैं। हमें होटल खोलने की मंजूरी दी जाए।
- सिकंदर गोयल, संचालक, आशियाना होटल होटलों में बरती जाती है पूरी सावधानी
हम सावधानी बरतते हैं। होटल में आने वालों को पहले सैनिटाइज किया जाता है। होटल इंडस्ट्री ऐसा बिजनेस है, जो 24 घंटे खुला रहता है। इस समय पूरे भारत के होटल नौ हजार करोड़ रुपये के घाटे में चल रहे हैं, जबकि देश की जीडीपी में हम आठ फीसद का सहयोग करते हैं।
- चिराग छाबड़ा, संचालक, होटल सफायर होटल कारोबार से जुड़े चार करोड़ परिवार
होटल कारोबार से चार करोड़ परिवार जुड़े हैं। मुश्किल से ही सही, हम स्टाफ को वेतन दे रहे हैं। उनके लिए कारीगर अहम हैं। अगर कारीगर काम छोड़ दे तो धीरे-धीरे काम भूल जाता है। हम नहीं चाहते कि कोई नौकरी छोड़े, लेकिन सरकार हमें भी राहत दे।
- समीर छाबड़ा, सफायर होटल लाखों रुपये देते हैं जीएसटी, फिर भी हो रहे परेशान
होटल बंद होने से कारोबार पूरी तरह बंद है। हम सरकार को जीएसटी के रूप में लाखों रुपये देते हैं। छोटे से छोटे होटल के संचालक भी साल में 25 से 30 लाख रुपये का जीएसटी देते हैं। इसके बाद भी सरकार होटल संचालकों की तरफ ध्यान नहीं दे रही।
- अमित मोखा, बीआर इन होटल एडवांस बुकिंग के पैसे भी करने पड़े वापस
बीते साल के लाकडाउन के बाद धीरे-धीरे पटरी पर आ रहे थे कि 18 अप्रैल 2021 को फिर से होटल बंद कर दिए। हमें एडवांस बुकिंग के पैसे वापस करने पड़े, जबकि हमारे स्थायी खर्चे नियमित चल रहे हैं। इनमें बिजली बिल, एक्साइज फीस, टैक्स आदि शामिल हैं। खर्चे निकालने मुश्किल हो रहे हैं।
- पवन मित्तल, सेलिब्रेशन होटल। बैंक से कर्ज लेकर दे रहे हैं स्टाफ को वेतन
हमारे हालात यह हैं कि स्टाफ को वेतन भी बैंक से कर्ज लेकर दिया और सरकार का टैक्स भी भरा। हमें सरकार से कोई भी आर्थिक सहायता की उम्मीद नहीं है। कम से कम जब तक होटल बंद हैं, बिजली बिल व कर्ज पर ब्याज ही माफ कर दें। इसीसे काफी मदद हो जाएगी।
विक्रमजीत बाहिया, एमडी, बाहिया ग्रुप। किस्ते न देने के कारण बैंक से डिफाल्टर हो रहे होटल संचालक
होटल संचालक बैंकों की किस्तें तक नहीं निकाल पा रहे। डिफाल्टर होने लगे हैं। बीते साल जिस तरह लोगों को कर्ज पर राहत दी गई थी, उसी प्रकार से इस बार भी होना चाहिए। होटल संचालक लोन पर ब्याज से ही इन दिनों मुक्त हो जाएं तो कुछ राहत की सांस मिलेगी।
- गुरप्रीत ग्रोवर, स्वीट मिलन होटल टूरिज्म को बढ़ावा देना दूर, होटल ही बंद कर दिए
सरकार ने पंजाब में टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात कही थी, लेकिन यहां तो होटल ही बंद कर दिए गए। अगर सरकार टूरिज्म के लिए कुछ नहीं कर सकती तो कम से कम स्थानीय ग्राहकों के लिए ही होटल खोल दिए जाएं। ताकि वे उन्हें बिठाकर खाना खिला सकें।
- मनप्रीत मोखा, बीआरइन होटल
छह महीने के लिए ईएमआइ में दी जाए राहत
सरकार को चाहिए कि होटल संचालकों को छह महीने के लिए ईएमआइ में छूट दी जाए। होटल इंडस्ट्री के लिए विशेष राहत पैकेज भी घोषित करना चाहिए, लेकिन हमसे तो बंद होटल पर टैक्स वसूला जा रहा है। होटल इंडस्ट्री को बचाने के लिए जल्द कदम उठाए जाएं।
- सौरव मित्तल, स्टेला होटल कम लोगों से कमाई कम और खर्चा ज्यादा
होटल या रिजोर्ट में दो हजार तक की कैपेसिटी वाले हाल भी हैं। अब फंक्शन चाहे 10 लोगों का या दो हजार का, खर्च उतना ही पड़ता है, लेकिन कमाई लोगों के हिसाब से होती है। ऐसे में खर्च ज्यादा है और कमाई कम। इसलिए हाल के हिसाब से लोगों को बुलाने की मंजूरी दी जाए।
- कंवरजीत सिंह बाहिया, बाहिया हाइट्स 2016 में हुई सरकारी बुकिंग का भुगतान करे सरकार
2016 में अकाली सरकार की ओर से कबड्डी वर्ल्ड कप के दौरान खिलाड़ियों को बठिडा के होटलों में ठहराया गया, जिसकी अदायगी आज तक नहीं की गई। 2016 में ही पीएम नरेंद्र मोदी के बठिडा दौरे के दौरान भी इस्तेमाल किए होटलों को पैसे नहीं मिले। ऐसे हालत में पुरानी अदायगी ही कर दी जाए।
- विजय काटिया, सैपल होटल