कोरोना वायरस के आगे स्वाइन फ्लू, डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों को भूला बैठा सेहत विभाग

सेहत विभाग हर साल गर्मियों में फैलने वाले स्वाइन फ्लू डेंगू और मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों को भूला बैठा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 10:40 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 10:40 PM (IST)
कोरोना वायरस के आगे स्वाइन फ्लू, डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों को भूला बैठा सेहत विभाग
कोरोना वायरस के आगे स्वाइन फ्लू, डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों को भूला बैठा सेहत विभाग

नितिन सिगला,बठिडा

कोरोना वायरस के आगे सेहत विभाग हर साल गर्मियों में फैलने वाले स्वाइन फ्लू, डेंगू और मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियों को भूला बैठा है। जिसके चलते अभी तक ना सेहत विभाग की तरफ से डोर टू डोर सर्वे शुरू किया गया और नहीं लारवा जांच मुहिम। इतना ही नहीं सिविल अस्पताल में स्वाइन फ्लू या डेंगू को लेकर अलग से कोई वार्ड तक नहीं बनाया गया है। ऐसे में अगर सेहत विभाग के पास स्वाइन फ्लू या डेंगू का कोई भी मरीज सामने आता है, तो उसे भर्ती कर इलाज करने के लिए कोई प्रबंध सेहत विभाग के पास नहीं है। जिसके चलते कोरोना वायरस के खतरे के बीच अब स्वाइन फ्लू और डेंगू भी शहरवासियों की परेशानी बढ़ा सकता है। हालांकि विभागीय अफसरों का दावा है कि उनकी ओर से अप्रैल में ही स्वाइन फ्लू व डेंगू को लेकर अलर्ट जारी किया जा चुका है और इस बाबत कुछ कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई जा चुकी है, जोकि लोगों को इन बीमारियों के प्रति जागरूक करने के अलावा लारवा जांच की जा रही है। वहीं शहर में फागिग करने के लिए नगर निगम की जिम्मेवारी दी गई है। उनकी टीमें हररोज शहर के विभिन्न एरिया में फॉगिग कर रही है। सेहत विभाग का कहना है कि कोरोना और स्वाइन फ्लू के लक्षण एक जैसे होते हैं। लिहाजा जो जांच हो रहीं हैं, उसमें ही स्वाइन फ्लू के लक्षणों का पता चल जाता है। मगर बदलते मौसम में स्वाइन फ्लू, डेंगू या मलेरिया बीमारी कभी भी दस्तक दे सकती हैं। इसके बावजूद कोरोना में व्यस्त सेहत विभाग के पास स्वाइन फ्लू, डेंगू और मलेरिया से बचाव के कोई इंतजाम धरातल पर नहीं दिख रहे हैं। विभाग के मुताबिक कोरोना के अलावा मलेरिया रोधी अभियान भी चलाया जा रहा है। इसके लिए सभी केंद्रों पर लार्वीसाइड दवा उपलब्ध करा दी गई है। इसका छिड़काव किया जा रहा है। इसके साथ फॉगिग भी चल ही रही है। अगर बारिश हुई और जमा पानी में मच्छर बढ़े तो डेंगू और चिकनगुनिया का खतरा बढ़ेगा। अगर मौसम में तापमान चढ़ा तो मच्छरों की कमी के कारण ये दो से तीन महीने तक थमा रहेगा। अगर जुकाम खांसी के मरीज नहीं बढ़ेंगे तो स्वाइन फ्लू का खतरा नहीं है। वहीं अगर मच्छर बढ़ेंगे तो डेंगू और चिकनगुनिया के मरीज सामने आएंगे।

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