ब्रह्मज्ञान से ही परिपक्व हो सकता है ईश्वर पर विश्वास : माता सुदीक्षा जी
संत निरंकारी भवन बठिंडा में वर्चुअल रूप से करवाए जा रहे कार्यक्रम के दौरान सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने सत्संग से श्रद्धालुओं को निहाल किया।
संस, बठिडा : संत निरंकारी भवन बठिंडा में वर्चुअल रूप से करवाए जा रहे कार्यक्रम के दौरान सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने सत्संग से श्रद्धालुओं को निहाल किया।
इस दौरान सतगुरु माता जी ने कहा कि एक तरफ विश्वास है तो दूसरी तरफ अंध विश्वास की बात भी सामने आती है। अंध विश्वास से भ्रम-भ्रांतियां पैदा होती हैं, डर पैदा होता है और मन में अहंकार भी प्रवेश करता है। इससे मन में बुरे ख्याल आते हैं जिससे कलह-क्लेषों का सामना करना पड़ता है। ब्रह्मांड की हर एक चीज विश्वास पर ही टिकी है पर विश्वास ऐसा न हो कि असल में कुछ और हो और मन में हम कल्पना कोई दूसरी कर लें। आंख बंद करके अथवा असलीयत से आंख चुराकर कुछ और करते हैं तो फिर हम उन अंध विश्वासों की तरफ बढ़ जाते हैं। किसी चीज की असलीयत और उसका उद्देश्य न जानते हुए तर्कसंगत न होते हुए भी करते चले जाना ही अंध-विश्वास की जड़ है जिससे नकारात्मक भाव मन पर हावी हो जाते हैं। सतगुरु माता जी ने आगे कहा कि आसपास का वातावरण, व्यक्ति अथवा किसी चीज से अपने आपको दूर करने का नाम भक्ति नहीं। भक्ति हमें जीवन की वास्तविकता से भागना नहीं सिखाती बल्कि उसी में रहते हुए हर पल, हर स्वांस परमात्मा का अहसास करते हुए आनंदित रहने का नाम भक्ति है। भक्ति किसी नकल का नाम नहीं बल्कि यह हर एक की व्यक्तिगत यात्रा है। हर दिन ईश्वर के साथ जुड़े रहकर अपनी भक्ति को प्रबल करना है। समागम के दूसरे दिन एक रंगारंग सेवादल रैली द्वारा हुआ जिसमें देश, दूर-देशों से आये सेवादल के भाई-बहनों ने भाग लिया।