पंजाबी भाषा के अन्य भाषाओं के साथ संबंधों पर हुआ विचार

पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के पंजाबी विभाग ने कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण में पंजाबी भाषा के अन्य भाषाओं के साथ संबंध विषय पर दो-दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 05:55 PM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 05:55 PM (IST)
पंजाबी भाषा के अन्य भाषाओं के साथ संबंधों पर हुआ विचार
पंजाबी भाषा के अन्य भाषाओं के साथ संबंधों पर हुआ विचार

संस, बठिडा

पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के पंजाबी विभाग ने कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण में पंजाबी भाषा के अन्य भाषाओं के साथ संबंध विषय पर दो-दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार के तहत पंजाबी और उप-विषयों पर दो व्याख्यान सत्र आयोजित किए गए ।

इसमें नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर की प्रो. रेणु बाला, व पंजाबी विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रो. नसीर नकवी मुख्य वक्ता थे। इसकी शुरुआत डीन इंचार्ज अकादमिक प्रो. आरके वुसिरिका द्वारा स्वागत भाषण के साथ हुई। स्कूल आफ लैंग्वेज, लिटरेचर एंड कल्चर के डीन एवं पंजाबी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जमीरपाल कौर ने कहा कि विभिन्न शोध अध्ययनों ने यह मान्य किया है कि हर भाषा किसी न किसी दूसरी भाषा से जुड़ी हुई है और यहां तक कि विभिन्न भाषाओं की संस्कृतियां और साहित्य भी एक दूसरे से संबंध रखते हैं। इस वेबिनार का उद्देश्य हमारे युवाओं को पंजाबी भाषा के संस्कृत और उर्दू के साथ संबंध से अवगत कराना है। पहले सत्र में प्रो. रेणु बाला ने वैदिक से समकालीन पंजाबी भाषा और उसके साहित्य के विकास के बारे में व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि वैदिक संस्कृत भाषा पंजाबी भाषा सहित कई अन्य भाषाओं का मूल आधार है। वैदिक संस्कृत और पंजाबी भाषा का प्राचीन काल से एक दूसरे के साथ मजबूत संबंध है, जब पंजाब को संस्कृत भाषा का घर माना जाता था और दुनिया भर के लोग तक्षशिला विश्वविद्यालय में संस्कृत सीखने आते थे। उन्होंने कहा कि ऋगवेद, अष्टाध्यायी सहित प्राचीन संस्कृत साहित्य के लेखकों का पंजाब की पवित्र भूमि से संबंध रहा है और पंजाब की नदियों और प्राचीन पंजाब के स्थानों के संदर्भ संस्कृत साहित्य में उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि पंजाबी साहित्य में संस्कृत भाषा के कई वाक्यांश हैं। अंत में आयोजकों ने विद्वतापूर्ण व्याख्यान के लिए विशेषज्ञ वक्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया और विश्वविद्यालय संकाय और छात्रों को वेबिनार में उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद दिया।

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