अमेरिकन बनाम ब्रिटिश इंग्लिश विवाद से दिव्यांग युवती नौकरी से वंचित
भारत में प्रचलित अमेरिकन व ब्रिटिश इंग्लिश के विवाद के चलते एक दिव्यांग युवती नौकरी से वंचित हो गई है।
जागरण संवाददाता, ब¨ठडा :
भारत में प्रचलित अमेरिकन व ब्रिटिश इंग्लिश के विवाद के चलते एक दिव्यांग युवती नौकरी से वंचित हो गई है। उसने न्यायपालिका में स्टेनोग्राफर के पद के लिए टेस्ट दिया था। लेकिन स्पें¨लग विवाद के चलते उसके एक प्रशन को गलत करार दे देने से वह एग्जाम में पास नहीं हो सकी। लेकिन तीन वर्ष तक अदालत में ठेके पर काम करते रहने और एक वकील के प्रैक्टिस करने के चलते वह पंजाब एवं हाईकोर्ट में पहुंच गई है। इसकी सुनवाई अब 26 नवंबर को होगी। उसे कोर्ट से न्याय की पूरी उम्मीद है।
एनरोलमेंट शब्द में एल को लेकर विवाद
पंजाब में अधीनस्थ न्यायपालिका में स्टेनोग्राफर के पद के लिए आवेदन करने वाली ब¨ठडा के रा¨जदरा कॉलेज के बैकसाइड की निवासी रजनी ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्होंने स्टेनोग्राफर के टेस्ट में एनरोलमेंट शब्द के स्पें¨लग को गलत करार दिए जाने के उनके दो अंक काट लिए गए। इस वजह से वह स्टेनोग्राफर ग्रेड 3 में नियुक्ति से वंचित हो गई। याचिकाकर्ता ने कहा है कि ब्रिटिश इंग्लिश में एनरोलमेंट शब्द में एक एल का प्रयोग किया जाता है, जबकि अमेरिकन इंग्लिश में डबल एल प्रयोग किए जाते हैं। लेकिन ये दोनों ही स्पे¨लग ठीक हैं और इनका अर्थ भी एक ही है। रजनी ने बताया कि वह पचास फीसद दिव्यांग है। वह छह भाई-बहन हैं और बेहद गरीब परिवार से हैं। उसने तीन वर्ष तक अदालत में ठेके पर काम किया है। लेकिन ठेका खत्म होने के बाद उसे नौकरी से हटा दिया गया। बीती 9 मार्च को उसने यह परीक्षा दी थी। जिसका 9 मई को रिजल्ट घोषित हुआ था। रिजल्ट में अपने उक्त शब्द के अंक काटे जाने से वह बेहद आहत हुई और उसने अपने वकील के साथ सलाह मश्विरा करके अदालत की शरण ली है। रिजल्ट में उसके साथ अन्याय हुआ है।
दो अंक काटे जाने से हुई नौकरी से वंचित
याचिकाकर्ता के वकील डॉ. राव पीएस गिरवर ने कहा कि याचिकाकर्ता ने दिव्यांग श्रेणी में आवेदन किया था और उसे 34 अंक दिए गए, जबकि उसकी श्रेणी में 36 अंक हासिल करने वाले आवेदकों को नियुक्ति मिल गई। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा लिखे गए सही स्पे¨लग को भी गलत माने जाने के चलते उनके दो नंबर काट लिए गए। हाईकोर्ट इस मामले पर अब 26 नवंबर को सुनवाई करेगा।