एमआरएस पीटीयू को केंद्र ने दिया ने 50 लाख रुपये का प्रोजेक्ट

सरकार के साइंस एंड टेक्नोलाजी विभाग द्वारा सीवरेज व वाटर ट्रीटमेंट टेक्नोलाजी के संबंधित 50 लाख रुपये का खोज प्रोजेक्ट महाराजा रणजीत सिंह यूनिवर्सिटी के कैमिस्ट्री विभाग की सहायक प्रो. डा. मीनू को मिला है। इस प्रोजेक्ट को नगर निगम बठिंडा के सहयोग से तीन साल में पूरा करना है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 03:15 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 07:17 PM (IST)
एमआरएस पीटीयू को केंद्र ने दिया ने 50 लाख रुपये का प्रोजेक्ट
एमआरएस पीटीयू को केंद्र ने दिया ने 50 लाख रुपये का प्रोजेक्ट

जागरण संवाददाता, बठिडा : सरकार के साइंस एंड टेक्नोलाजी विभाग द्वारा सीवरेज व वाटर ट्रीटमेंट टेक्नोलाजी के संबंधित 50 लाख रुपये का खोज प्रोजेक्ट महाराजा रणजीत सिंह यूनिवर्सिटी के कैमिस्ट्री विभाग की सहायक प्रो. डा. मीनू को मिला है। इस प्रोजेक्ट को नगर निगम बठिंडा के सहयोग से तीन साल में पूरा करना है। बठिडा जिले के सीवरेज पानी में फार्मास्यूटिकल व पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स की समस्या, वातावरण में इसकी बहुतायत तथा सीवरेज के पानी को मैटल आर्गेनिक फ्रेमवर्क के साथ सुधारने की प्रक्रिया से संबंधित नवीनतम वाटर ट्रीटमेंट टेक्नोलाजी के बारे में खोज करने के लिए 50 लाख रुपये की ग्रांट मंजूर की गई है।

इस प्रोजेक्ट को तीन सालों में पूरा किया जाना है। इसको भारत सरकार के विज्ञान व टेक्नोलाजी विभाग द्वारा स्पांसर की गई वाटर टेक्नोलाजी इनोवेशन काल 2019 स्कीम के तहत फंड दिए जा रहे हैं। एमआरएस पीटीयू के कुलपति प्रो. बूटा सिंह सिद्धू व यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डा. गुरिदरपाल सिंह बराड़ ने डा. मीनू को बधाई दी है।

सकारात्मक नतीजे निकालने की कोशिश होगी : डा. मीनू

डा. मीनू ने बताया कि उपरोक्त प्रोजेक्ट गंदे पानी में फार्मास्यूटिकल व पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स की मौजूदगी व इसके उपचार के साथ जुड़ी समस्याओं की नवीनतम वाटर ट्रीटमेंट टेक्नोलाजी के द्वारा जांच की जाएगी। यह प्रोजेक्ट सतह के पानी, नहरी पानी, धरती के निचले पानी, कूड़ेदान व ट्रीटेड सीवरेज के पानी और मिट्टी में पीपीसीपीज की मौजूदगी की समस्या का अध्ययन व विस्तार में विश्लेषण कर सकारात्मक नतीजे निकालने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने बताया कि बठिडा व इसके आसपास के इलाकों में पानी के साथ जुड़ी उपरोक्त समस्याओं के हल के लिए आधुनिक तकनीकों व सिथेसाइज्ड मैटल जैविक फ्रेमवर्क का प्रयोग किया जाएगा, जो सीवरेज पानी से पीपीसीपीज को दूर करने में अहम रोल अदा करेगी।

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