डिमांड बढ़ने के कारण मरीजों को नहीं मिल रहे प्लेटलेट्स

जिले में डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच सिगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) की मांग भी बढ़ गई है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 02:57 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 02:57 AM (IST)
डिमांड बढ़ने के कारण मरीजों को नहीं मिल रहे प्लेटलेट्स
डिमांड बढ़ने के कारण मरीजों को नहीं मिल रहे प्लेटलेट्स

नितिन सिगला,बठिडा

जिले में डेंगू के बढ़ते मामलों के बीच सिगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) की मांग भी बढ़ गई है। शहर में एक सरकारी व चार निजी ब्लड बैंकों से हररोज 200 के करीब प्लेट्लेटस इश्यू हो रहे हैं। हालांकि ज्यादातरह ब्लड बैंकों में 24 घंटे प्लेटलेट्स वाली मशीनें चल रही हैं, लेकिन इसके बावजूद डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है। हालात यह हैं कि किसी को पांच यूनिट प्लेटलेट्स चाहिएं तो डोनर के बिन डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है। सिविल अस्पताल ब्लड बैंक की इंचार्ज डा. रीतिका का कहना है कि बदलते मौसम में डेंगू के बढ़ने के कारण प्लेटलेट्स की डिमांड भी बढ़ गई है।

वहीं शहर के रहने वाले विकास कुमार ने बताया कि तीन दिन पहले उनके छोटे भाई को डेंगू हो गया था, जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच में पता चला कि उसके शरीर में प्लेटलेट्स का स्तर काफी गिर गया है। उन्होंने अस्पताल में पता किया, लेकिन प्लेटलेट्स नहीं मिले। इसके बाद वह एक निजी ब्लड बैंक गए तो भी इंतजाम नहीं हुआ। आखिरी में उन्होंने मैच ब्लड ग्रुप वाले डोनर को बुलाकर प्लेटलेट्स का इंतजाम किया। 20 हजार से कम होने पर जरूरत पड़ती है प्लेटलेट्स की: डा. रमन कोस्मो अस्पताल की एमडी मेडिसिन डा. रमन गोयल का कहना है कि जब प्लेटलेट्सका स्तर 20 हजार से कम होने लगता है, तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है। डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टायफस, टाईफाइड जैसी बीमारी होने पर प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है। अगर प्लेटलेट्स 1.5 लाख से कम आएं तो घबराने की जरूरत नहीं है। हर 2-3 दिन में टेस्ट करवाते रहें। प्लेटलेट्स काउंट तीन लाख तक पहुंचने तक टेस्ट कराते रहें। डेंगू के हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाना जरूरी नहीं: डा. वितुल डा. किशोरी राम अस्पताल के एमडी मेडिसिन डा. वितुल गुप्ता का कहना डेंगू वायरस के चलते प्लेटलेट्स कम हो जाते है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाए जाएं। शरीर अपने आप रोग से लड़ता है और प्लेटलेट्स काउंट कवर कर लेता है। बिना उचित कारण के प्लेटलेट्स चढ़ाने पर दूसरी तरह की परेशानी हो सकती है। मरीज पानी खूब पीए। तरल पदार्थों का प्रयोग करें। नारियल पानी, ओआरएस, मरीज को जो पसंद हो, ले सकता है।

दो तरीके से निकाले जाते हैं प्लेटलेट्स: अजीत सिंह गुरु नानक ब्लड बैंक के इंचार्ज अजीत सिंह चौधरी बताते हैं कि प्लेटलेट्स निकालने के दो तरीके हैं। पहली विधि में एक बार में एक रक्तदाता के ब्लड से प्लेटलेट्स निकाल सकते हैं। इसको सिगल डोनर प्लेटलेट्स (एसडीपी) कहा जाता है। एक यूनिट एसडीपी मरीज को चढ़ाने पर उसमें प्लेटलेट्स काउंट की मात्रा 50-60 हजार तक बढ़ जाती है। दूसरे तरीके में खून निकालने के बाद रैंडम डोनर प्लेटलेट्स (आरडीपी) विधि में सेपरेटर यूनिट में प्लेटलेट्स निकाला जाता है। इसमें कम से कम छह घंटे लगते हैं।

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