प्रेम और करुणा की सजीव मूर्त थे बाबा हरदेव सिंह: माता सुदीक्षा

संत निरंकारी भवन द्वारा आनलाइन समर्पण दिवस समागम करवाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 09:37 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 09:37 PM (IST)
प्रेम और करुणा की सजीव मूर्त थे बाबा हरदेव सिंह: माता सुदीक्षा
प्रेम और करुणा की सजीव मूर्त थे बाबा हरदेव सिंह: माता सुदीक्षा

संस, बठिडा: संत निरंकारी भवन द्वारा आनलाइन समर्पण दिवस समागम करवाया गया। इस दौरान सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने निरंकारी बाबा हरदेव सिंह के दिव्य जीवन एवं शिक्षाओं से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में 13 मई के दिन बाबा हरदेव सिंह जी अपने नश्वर शरीर को त्यागकर निराकार प्रभु में विलीन हो गए थे। तभी से प्रतिवर्ष यह दिन निरंकारी जगत में समर्पण दिवस के रूप में बाबा हरदेव सिंह को समर्पित किया जाता है।

उन्होंने कहा कि जब हम बाबा जी की केवल मुस्कान को याद करते हैं तो कितनी ठंडक महसूस होती है। उन्होंने हमें सच्चा मनुष्य बनने की युक्ति सिखाई। हम सही मायने में मानव की भांति अपना जीवन जीएं, क्योंकि ऐसा ही भक्ति भरा, प्रेम वाला और निरंकार प्रभु से जुड़कर जिया गया जीवन ही बाबा जी को प्रिय था। उनकी शिक्षाओं पर चलकर हम प्रतिदिन अपने जीवन में निखार लाएं ताकि यह ज्ञान की ज्योति घर-घर पहुंचे, जो उनकी अभिलाषा थी। बाबा हरदेव सिंह ने 36 वर्षों तक मिशन की बागडोर संभाली। उनकी छत्रछाया में मिशन 17 देशों से चलकर विश्व के प्रत्येक महाद्वीप के 60 राष्ट्रों तक पहुंचा, जिसमें राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर के समागम, युवा सम्मेलन, सत्संग कार्यक्रम, समाज सेवा उपक्रम, विभिन्न धार्मिक तथा आध्यात्मिक संस्थाओं के साथ तालमेल जैसे आयोजन सम्मिलित थे। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा संत निरंकारी मिशन को सामाजिक एवं आर्थिक परिषद के सलाहकार के रूप में मान्यता भी बाबा जी के समय में ही प्रदान की गई थी। बाबा हरदेव सिंह प्रेम और करुणा की सजीव मूर्त थे और यही कारण था कि वह प्रत्येक स्तर के लोगों के प्रिय रहे, जिसका प्रतिबिब संत निरंकारी मिशन है। निरंकारी मिशन में विभिन्न धर्म, जाति, वर्ण के लोग समस्त भेदभावों को भुलाकर प्रेम व शांतिपूर्ण गुण जैसे मानवीय मूल्यों को जीवन में धारण करते हैं। उनके द्वारा जनकल्याण के लिए की गई सेवाएं एक स्वर्णिम इतिहास बनकर आज भी मानवता को प्रेरित कर रही हैं। बाबा जी की सिखलाईयों पर चलकर सभी श्रद्धालु भक्त प्रतिपल उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं तथा उनका अनुसरण भी करते हैं।

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