कानून अनुशासन में शोध की गुणवत्ता बढ़ाने पर रखे विचार

विधि अध्ययन विद्यापीठ द्वारा कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण में कानून अनुशासन में शोध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए वेबिनार का आयोजन किया

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 08:28 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 08:28 PM (IST)
कानून अनुशासन में शोध की गुणवत्ता बढ़ाने पर रखे विचार
कानून अनुशासन में शोध की गुणवत्ता बढ़ाने पर रखे विचार

संस, बठिडा : पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के विधि अध्ययन विद्यापीठ द्वारा कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी के संरक्षण में कानून अनुशासन में शोध की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए वेबिनार का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के दौरान पूर्व कुलपति प्रो. वीर सिंह, पूर्व कुलपति, नालसर और पूर्व निदेशक, चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी, प्रो. जीएस बाजपेयी, कुलपति, राजीव गांधी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पटियाला व डा. मीरा चड्ढा बोरवांकर, आईपीएस और पूर्व महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, भारत सरकार, विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। पहला व्याख्यान प्रो. वीर सिंह ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रिसर्च इन हायर एजुकेशन विषय पर दिया। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सिस्टम के विभिन्न प्रकारों (जैसे नॉलेज बेस्ड एआई सिस्टम और स्टैटिस्टिकल लर्निंग एआई सिस्टम) के बारे में बताते हुए इसके लाभ और हानियों पर चर्चा की। प्रो. वीर सिंह ने शोधकर्ताओं को डेटा संग्रह, परिकल्पना परीक्षण के चरणों में अपने शोध कार्य की गुणवत्ता बढ़ाने और उनके कार्य की समानता/मौलिकता आदि की जांच करने के लिए एआई तकनीकों, साफ्टवेयर का उपयोग करने की सलाह दी। दूसरे व्याख्यान में प्रो. जीएस बाजपेयी ने अनुसंधान के लिए विषयों का चयन, शोध प्रस्ताव और अनुसंधान की गुणवत्ता पर विचार विमर्श किया। उन्होंने कहा कि निष्पक्षता, परिमाणीकरण, सामान्यीकरण और कार्यप्रणाली कानून के अनुशासन में अनुसंधान के मुख्य तत्व हैं। उन्होंने युवाओं को कानूनी न्याय की अवधारणा का गुणात्मक विश्लेषण करने और नागरिकों के बीच कानूनों के प्रभाव का आकलन जैसे उप-विषयों पर शोध करने के लिए प्रोत्साहित किया। तीसरे व्याख्यान के दौरान डा. मीरा चड्ढा बोरवांकर ने पुलिस सुधार और अपराधिक न्याय प्रशासन विषय पर प्रतिभागियों के साथ अपना प्रोफेशनल अनुभव साझा किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित आपराधिक मामले और अपराध सिद्ध होने की दर गंभीर चिता का विषय है, जिससे अपराधियों का मनोबल बढ़ता है और न्यायिक प्रणाली में नागरिकों के विश्वास को क्षति पहुंचती है। उन्होंने पुलिस सुधारों पर साल 2006 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ध्यान केंद्रित किया और इसके कार्यान्वयन के संबंध में महाराष्ट्र सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। जबकि कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने विशिष्ट अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए शोधकर्ताओं को सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने हेतु सामाजिक समस्याओं के अभिनव समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे हमारे देश के नागरिकों के बीच समानता, शांति और खुशी की भावना को बढ़ावा मिलेगा। डीन छात्र कल्याण प्रो. विनोद के. गर्ग और डीन इंचार्ज अकादमिक प्रो. आरके वुसुरिका ने समापन टिपणी दी। इस अवसर पर विधि विभाग के विभागाध्यक्ष डा. दीपक चौहान सहित डा. पुनीत पाठक, डा. सुखविदर कौर, शोधार्थी, और छात्र उपस्थित थे।

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