हृदय में भक्ति भाव होना बहुत जरूरी: भागवताचार्य सतीश

माडल टाउन फेस तीन में स्थित साईं मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 09:47 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 09:47 PM (IST)
हृदय में भक्ति भाव होना बहुत जरूरी: भागवताचार्य सतीश
हृदय में भक्ति भाव होना बहुत जरूरी: भागवताचार्य सतीश

संस, बठिडा: माडल टाउन फेस तीन में स्थित साईं मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। इस दौरान कथा वाचक के तौर पर भागवताचार्य सतीश चमोली उत्तराखंड धाम से पहुंचे हैं। कथा के पहले दिन श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण पान बठिडा के लोगों ने किया। महाराज ने श्रीमद्भागवत की महिमा एवं भक्त और भगवान की महिमा बताई। इस दौरान महाराज ने बताया कि जन्म-मरण को मिटाने और मोक्ष प्राप्ति की बहुत मीठी दवा है। जिसके ह्रदय में भक्ति नहीं व जीवन होते हुए शव के सामान है। इसलिए प्रभु की भक्ति के साथ ज्ञान व ज्ञान के साथ वैराग्य भी जरूरी है। सभी धर्म एक सम्मान: स्वामी रामतीर्थ गोशाला व मंदिर सुधार कमेटी मानसा द्वारा करवाई जा रही श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के पहले दिन ज्योति प्रचंड करने की रस्म कांग्रेस नेता मनोज बाला द्वारा अदा की गई। स्वामी रामतीर्थ जलालवाले ने कहा कि सभी धर्म एक सम्मान हैं। इसलिए मनुष्य को हर धर्म का सत्कार करना चाहिए। संसार ऐसा माया जाल है, जिसमें से निकलना मुश्किल है। इसलिए हर मनुष्य को समय निकाल कर सत्संग में आना चाहिए। यहां कमेटी प्रधान जतिदर वीर गुप्ता, मोनू दानेवालिया, मुनिष बबू, पाली राम, अशोक चांदपुरिया, ईश्वर गोयल, हाकम चंद, जगदीश राय आदि मौजूद थे। समस्त जीवों को परिवार की तरह समझना ही धर्म: डा. राजेंद्र मुनि जैन सभा के प्रवचन हाल में डा. राजेंद्र मुनि ने जैन धर्म के सिद्धांतों को जीवन जीने की कला बतलाते हुए विनय विवेक की चर्चा करते हुए कहा कि जिस इंसान के जीवन में ये दो गुण आ जाते हैं, उसका जीवन धर्म मय कहलाता है। इसके विपरीत क्रोध व अहंकार रूपी अवगुण आते ही अधर्म पाप का जीवन निर्माण होता है।

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