दुर्गा पूजा महोत्सव में दिखी मिनी कोलकाता की झलक

उत्सव बांग्ला सांस्कृतिक समाज की ओर से पहली दुर्गा पूजा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 02:28 AM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 02:28 AM (IST)
दुर्गा पूजा महोत्सव में दिखी मिनी कोलकाता की झलक
दुर्गा पूजा महोत्सव में दिखी मिनी कोलकाता की झलक

संस, बठिडा: बठिडा में रहने वाले बंगाली परिवारों के उत्सव बांग्ला सांस्कृतिक समाज की ओर से पहली दुर्गा पूजा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जोकि 15 अक्टूबर तक चलेगा।

सोसायटी के उपप्रधान पीके साधु ने बताया कि रोजाना सुबह नौ बजे पूजा, साढ़े दस बजे पुष्पाजंलि, शाम सात बजे अदिवास व आरती व आठ बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में बंगाल, असाम, ओडीशा, बिहार विभिन्न राज्यों के लोग इक्टठे होकर दुर्गा पूजा का आनंद ले रहे हैं। उत्सव में सोनार बांग्ला की आलौकिक झलक देखने को मिल रही है। उत्सव की रोनक और मां दुर्गा की महिमा का उत्कृष्ट आकर्षण शहरवासियों के लिए विशेष अनुभव है। आगंतुकों को ठेठ बंगाली भोज दिया जा रहा है। वहीं फाउंडर प्रशांत कुमार साहा ने बताया कि अनुष्ठानिक दुर्गा पूजा हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है। हिदुओं का प्रमुख धार्मिक उत्सव होने के अलावा यह सामाजिक मेल-मिलाप और सामूहिक आनंद का भी उत्सव है। ऐसे गढ़ी जाती है प्रतिमा मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण बंगाल के कुशल कारीगरों द्वारा किया जा रहा है। पारंपरिक दुर्गा प्रतिमा अपनी चारों संतानों तथा अपने सिंह वाहन के साथ मिट्टी से गढ़ी जाती है। प्रतिमा में उनका महिषासुर-मर्दिनी रूप दिखाने के लिए महिष के रूप में बाहर निकले हुए महिषासुर को भी बनाया जाता है। मिट्टी की प्रतिमा को सजाने के लिए दो तरह की व्यवस्थाएं प्रचलित हैं। इस पंडाल में सुबह से लेकर देर रात तक पूजन, बलि, आरती, पुष्पांजलि, भोग आदि के कई कार्यक्रम होते हैं। संध्या की आरती के समय नृत्य दर्शनीय होता है। बंगाल के विशेष प्रकार के ताल वाद्य ढोल की ताल पर भक्तगण धूप की मदद से आरती करते हुए देवी की आरती करते हैं। संध्या के समय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला सार्वजनिक दुर्गोत्सव के साथ शुरू होगा।

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