सच्चा मित्र मां के समान, जो हमेशा सत्य और अच्छाई की ले जाता है : साध्वी शुभिता

जैन स्थानक में विराजमान जैन भारती सुशील कुमारी महाराज की शिष्या साध्वी सुनीता महाराज ने कहा कि जो आनंद परमात्मा की महिमा को श्रवण करने से प्राप्त होता है

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 03:27 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 03:27 PM (IST)
सच्चा मित्र मां के समान, जो हमेशा सत्य और अच्छाई की ले जाता है : साध्वी शुभिता
सच्चा मित्र मां के समान, जो हमेशा सत्य और अच्छाई की ले जाता है : साध्वी शुभिता

जासं, मौड़ मंडी : जैन स्थानक में विराजमान जैन भारती सुशील कुमारी महाराज की शिष्या साध्वी सुनीता महाराज ने कहा कि जो आनंद परमात्मा की महिमा को श्रवण करने से प्राप्त होता है, वह और किसी माध्यम के द्वारा संभव नहीं है। सत्संग कथा मानव को सुख आनंद के मार्ग का अनुगामी बनाने का सर्वोत्तम माध्यम है।

इंसान के जीवन में जब एक संत की कृपा से सत्संग का आगमन होता है। तो वह इन सांसारिक भ्रमों की पहचान को प्राप्त कर इस बात को समझ जाता है। एक जीव आत्मा का वास्तविक कल्याण प्रभु की भक्ति के द्वारा ही संभव है। जो सत्संग के बिना संभव नहीं है। परन्तु आज का मानव कथा को श्रवण करने को ही सत्संग समझता है। परन्तु सत्संग शब्द स्वयं को परिभाषित कर रहा है। सत्संग यानि कि सत्य का संग। और इस संसार में केवल एक ही सत्य है। और वह है। केवल परमात्मा। जब हम उस परम सत्ता का अवलोकन कर लेंगे। तो हमारा विश्वास प्रभु चरणों में दृढ़ हो जाएगा। हमने भी अगर प्रभु के प्रति अपने विश्वास को ²ढ़ करना है। तो हमें भी उस ईश्वर का दर्शन करवाने वाले संत की शरण को प्राप्त करना होगा। और भक्ति का प्रारंभ अपने जीवन में करना होगा। तभी हमारा मानव तन की प्राप्ति का उद्देश्य पूर्ण हो सकेगा।

साध्वी शुभिता ने कहा सच्चामित्र हमारे लिए प्रेरणा देने वाला, सहायक और मार्गदर्शक बनकर हमें जीवन की सही राह की ओर ले जाने वाला होता है। निराशा के क्षणों में सच्चा मित्र हमारी हिम्मत बढ़ाने वाला होता है। जब हम निरुत्साहित होते हैं तब वह हमारी हिम्मत बढ़ाता है।

उन्होंने सच्चे मित्र की परिभाषा देते हुए कहा कि सच्चा मित्र वही है जो मित्र दुख में काम आता आता है। वह मित्र के बहुत छोटे से छोटे कष्ट को भी मेरू पर्वत के सामान भारी मानकर उसकी सहायता करता है। मित्र सुख-दुख का साथी है। वह केवल दुख में ही नहीं सुख में भी खुशियां बांटता है। मित्र के होने से हमारे सुख के क्षण उल्लास से भर जाते हैं। जब हम शिथिल होते हैं तब वह प्रेरणा देता है। जब हम विचलित होते हैं तब वह हमारा मार्गदर्शन करता है। सच्चा मित्र हमारे लिए शक्तिवर्धक औषधि का है, जब हम शारीरिक रूप से कमजोर महसूस करते हैं। सच्चा मित्र हमें पथभ्रष्ट होने से बचाता है और सत्यमार्ग की ओर ले जाता है। सचमुच सच्ची मित्रता एक वरदान है जो हर किसी को नहीं मिलती।

मित्रता कभी स्वार्थ भाव से नहीं होती। वह निस्वार्थ होती है। स्वार्थ से की गई मित्रता सौदा है। जो ज्यादा दिन नहीं चलता। श्री कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को तीन मुट्ठी चावल के बदलें तीनों लोको का सुख प्रदान कर दिया और उनको बताया तक नहीं। इसीलिए उनकी मित्रता की मिसाल दी जाती है।

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