अच्छे कर्म करने वाला अच्छी गति में जाता है: जितेंद्र मुनि
जितेंद्र मुनि महाराज की 47वीं दीक्षा जयंती गरीबों के मसीहा गुरुदेव सुमति मुनि महाराज के सान्निध्य में जैन सभा पुराना बाजार में मनाई गई।
संवाद सूत्र, सरदूलगढ़: श्रमण संघ के उपाध्याय जितेंद्र मुनि महाराज की 47वीं दीक्षा जयंती गरीबों के मसीहा गुरुदेव सुमति मुनि महाराज के सान्निध्य में जैन सभा पुराना बाजार में मनाई गई। इस अवसर पर प्रवचन प्रभावक प्रभास मुनि महाराज ने उपाध्याय जितेंद्र मुनि महाराज के जीवन पर रोशनी डाली।
उन्होंने कहा महाराज द्वारा सात दिसंबर 1975 को संयम ग्रहण कर उप प्रवर्तक जगदीश मुनि महाराज के चरणों मे जम्मू में दीक्षा ग्रहण की गई। उन्होंने कहा कि उपाध्याय श्री द्वारा जैन धर्म को बहुत कुछ दिया गया। इसके अलावा लोगों का उपकार किया गया। उन्होंने कहा कि उपाध्याय ने राजपूत जाति में जन्म लेकर जैन धर्म को अपनाया। जैन धर्म जाति का धर्म नहीं है। जैन धर्म वह है जो व्यक्ति अपना राग द्वेष को त्याग कर अपनी आत्मा को धर्म की ओर लेकर जाता है। वहीं जैन कहलाता है। इस अवसर पर प्रभव मुनि महाराज ने उपाध्याय श्री के जीवन पर एक भजन भी सुनाया गया।
इस अवसर पर उपाध्याय जितेंद्र मुनि महाराज ने कहा कि अच्छे कर्म करने से ही अच्छी गति मिलती है। जो व्यक्ति अपने जीवन को धर्म की ओर ले जाता है वह संसार के पाप से बचा रहता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने गुरुओं की शरण लेनी चाहिए। गुरु ही अपने को धर्म की ओर ले जा सकते हैं। अगर हमारे जीवन में धर्म नहीं आएगा तो हमारा जीवन बंजर भूमि की तरह है। इसलिए हमें संसार के पापों से बचने के लिए गुरुओं के रास्ते पर चलना चाहिए और गुरुओं के दर्शन व प्रवचन का लाभ लेना चाहिए। इस अवसर पर जैन समाज सरदूलगढ़ व जैन कास्मेटिक सिरसा द्वारा प्रभावना बांटी गई। इस समागम में पंजाब हरियाणा राजस्थान आदि स्थानों से जैन श्रद्धालु पहुंचे हुए थे।