टीकरी बार्डर के रास्ते खोलने के विरोध में फूंका केंद्र सरकार का पुतला

दिल्ली पुलिस द्वारा शुक्रवार रात बल प्रयोग करके टीकरी बार्डर मोर्चे के रास्ते व्यापारिक आवाजाही के लिए पूरी तरह खोल देने की कोशिश के विरोध में शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा नेहरू चौक में सांकेतिक जाम लगाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 Oct 2021 03:42 PM (IST) Updated:Sat, 30 Oct 2021 03:42 PM (IST)
टीकरी बार्डर के रास्ते खोलने के विरोध में फूंका केंद्र सरकार का पुतला
टीकरी बार्डर के रास्ते खोलने के विरोध में फूंका केंद्र सरकार का पुतला

जागरण संवाददाता, बरनाला

दिल्ली पुलिस द्वारा शुक्रवार रात बल प्रयोग करके टीकरी बार्डर मोर्चे के रास्ते व्यापारिक आवाजाही के लिए पूरी तरह खोल देने की कोशिश के विरोध में शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा नेहरू चौक में सांकेतिक जाम लगाया गया। इस दौरान केंद्र सरकार की अर्थी फूंक रोष प्रदर्शन किया।

वक्ताओं ने कहा कि मोर्चे के नेताओं की प्रशासन से हुई बैठक में माना था कि टू-व्हीलर व एंबुलेंस के लिए केवल पांच फीट चौड़ा रास्ता खोला जाएगा। इससे अधिक चौड़ा रास्ता व्यापारिक वाहनों के लिए उपयोग किया जा सकता है जिस कारण धरने पर बैठे किसानों के लिए खतरा खड़ा हो सकता है कितु प्रशासन ने इस सहमति के बावजूद रात के समय बल प्रयोग करके पूरा रास्ता खोलने की कोशिश की। किसानों ने कहा कि वह सरकार को पूरा रास्ता खोलने की इजाजत बिलकुल नहीं देंगे व बल प्रयोग करके अपने-अपने मोर्चे खाली नहीं करने देंगे। फसलों की बिजाई में व्यस्त होने के बावजूद बड़े काफिले दिल्ली की तरफ रवाना किए जाएंगे। किसान दिल्ली में जाने के लिए खुद-ब-खुद आगे आ रहे हैं।

संयुक्त मोर्चा पहले दिन से कह रहा है कि यह रास्ते किसानों ने नहीं, पुलिस ने बंद किए हैं। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद यह बात स्पष्ट हो गई है। बलवंत सिंह, उजागर सिंह, मेला सिंह, बलविदर कौर, जसवीर सिंह, गुरदेव मांगेवाल, चरणजीत कौर, प्रेमपाल कौर ने पंजाब सरकार द्वारा गुलाबी सुंडी पीड़ित किसानों को 12 हजार प्रति एकड़ का मुआवजा देने की अफवाहों पर चर्चा की। वक्ताओं ने कहा कि इस नामात्र मुआवजे से किसानों का कुछ नहीं होगा। सरकार का यह एकतरफा फैसला उन्हें कभी भी मंजूर नहीं।

जय हो रंगमंच निहाल सिंह वाला की टीम ने नाटक हक किसानां दे पेश किया। सुखदेव लद्दड़ व इंद्र माणूके गिल की टीम की पेशकारी प्रशंसनीय थी। कुलवंत सिंह ठीकरीवाला ने कविता सुनाई।

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