श्रीराम बाग कमेटी नहीं लेती संस्कार के लिए लकड़ी के दाम

कोरोना महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। अप्रैल की बात करें तो 30 दिन में विभिन्न प्रकार की बीमारियों से करीब 150 लोगों की जान जा चुकी है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 03:43 PM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 03:43 PM (IST)
श्रीराम बाग कमेटी नहीं लेती संस्कार के लिए लकड़ी के दाम
श्रीराम बाग कमेटी नहीं लेती संस्कार के लिए लकड़ी के दाम

हेमंत राजू, बरनाला

कोरोना महामारी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। अप्रैल की बात करें तो 30 दिन में विभिन्न प्रकार की बीमारियों से करीब 150 लोगों की जान जा चुकी है। कई लोगों की कुदरती कारणों के चलते मौत के मामले भी सामने आए हैं, लेकिन कोरोना से मरने वालों की गिनती अधिक है। संख्या बढ़ने के साथ ही संस्कार के लिए लकड़ी की मांग भी काफी बढ़ गई है। दूसरी ओर भगत मोहन लाल सेवा समति बरनाला द्वारा संचालित श्रीराम बाग कमेटी बरनाला द्वारा शव के संस्कार के लिए किसी तरह के पैसे नहीं लिए जाते। अगर कोई चाहे तो वह दान रूप में लकड़ी के रुपये दे सकता है।

भगत मोहन लाल सेवा समति बरनाला द्वारा संचालित श्रीराम बाग कमेटी बरनाला के इंचार्ज जेई अशोक जिदल, महासचिव इंजीनियर कंवल जिदल, उपप्रधान बीरबल ठेकेदार, विनोद कांसल, राकेश मेहरा, गोपाल शर्मा गाल्ली, विपिन धरनी, राजिदर गर्ग, बंटी शौरी, पवन जिदल, बबलू शर्मा आदि ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान बरनाला के राम बाग के श्मशानघाट में संस्कारों की गिनती बढ़ गई है। अब मई से रोजाना आठ से 11 लोगों के संस्कार हो रहे हैं। ------------------------

साढ़े तीन क्विटल लकड़ी से होता है एक व्यक्ति का संस्कार

रोजाना आठ से 11 लोगों के संस्कार ऐसे हैं जिसमें कोरोना मरीजों सहित अन्य मृतक शामिल हैं। एक संस्कार में साढ़े तीन क्विटल के करीब लकड़ी लगती है। इतनी लकड़ी का 2500 रुपये दाम तय किया गया है परंतु भगत मोहन लाल सेवा समति बरनाला द्वारा शव के संस्कार के लिए किसी तरह के पैसे नहीं लिए जाते। उन्होंने बताया कि कोरोना से हुई मौत के कारण मृतक के संस्कार में कुछ लकड़ी बढ़ाकर डालते हैं, ताकि संस्कार जल्द हो सके।

----------------------- जिले में नहीं सीएनजी व इलेक्ट्रानिक मशीनें जिले में सीएनजी या बिजली से चलने वाली संस्कार करने वाली मशीनें नहीं हैं। मौत दर बढ़ने से इलेक्ट्रानिक संस्कार करने वाली मशीनों की जरूरत महसूस होने लगी है ताकि लकड़ी की खपत को कम किया जा सके।

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